जिला स्तरीय ‘स्टॉप डायरिया” अभियान की हुई शुरुआत

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  • जन-जागरूकता से होगी डायरिया की रोकथाम
  • बाढ़ प्रभावित स्थानों पर सतर्कता बरतनी जरूरी 
मोतिहारी : जिले के तुरकौलिया प्रखंड स्थित स्वास्थ्य केंद्र से  ‘स्टॉप डायरिया अभियान-2025’ का शुभारंभ किया गया। डायरिया से होने वाली मृत्यु को शून्य तक लाने के उद्देश्य पर बल देने के लिए इस महत्वपूर्ण अभियान को 22 सितंबर तक चलाया जाएगा ये बातें कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए जिले के डीसीएम नंदन झा ने कहीं। उन्होंने कहा की डायरिया से बच्चों को बचाव, रोकथाम एवं उपचार हेतु संस्थान एवं समुदाय स्तर पर जनजागरूकता से संबंधित कई अहम गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।उन्होंने बताया की 5 वर्ष तक के 10 लाख से अधिक बच्चों कों रक्षित करने के उद्देश्य से 12 लाख 22 हजार 441 ओआरएस एवं 13 लाख 52 हजार ज़िंक की दवाए वितरित की जाएगी।उन्होंने कहा की डायरिया बाल मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। एक अनुमान के अनुसार राज्य में प्रति वर्ष लगभग 27 लाख बच्चे डायरिया से पीड़ित होते हैं जिनमें से कईयों की जान चली जाती है। डायरिया एक आसानी से ठीक होने वाली बीमारी है लेकिन इसके लिए इसका ससमय पहचान, रेफरल एवं उपचार आवश्यक है।
– दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है:डायरिया
सिविल सर्जन डॉ रविभूषण श्रीवास्तव ने कहा की – ‘स्टॉप डायरिया अभियान’ ने कहा कि डायरिया एक संक्रामक बीमारी है  यह बीमारी तब फैलती है जब कोई स्वस्थ व्यक्ति गंदे हाथों से भोजन करता है या संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद रोगाणुओं से दूषित पानी या खाद्य पदार्थों का सेवन करता है। इसीलिए डायरिया के प्रसार को रोकने के लिए हमें खुले में शौच से परहेज एवं शौच के बाद व खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना बहुत आवश्यक है। साथ ही हमें दूषित पेयजल एवं खाद्य पदार्थों के सेवन से भी परहेज करना चाहिए। इस अवसर पर बताया गया कि अभियान के अंतर्गत, राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में जिंक-ओआरएस कॉर्नर की स्थापना की जाएगी जहां प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध रहेंगे।आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले सभी परिवारों के घर ओआरएस के पैकेट वितरित किए जाएंगे। वहीं रक्सौल में स्टॉप डायरिया कार्यक्रम की शुरुआत अनुमण्डलीय अस्पताल उपाधीक्षक रक्सौल डॉ राजीव रंजन के द्वारा किया गया। जहाँ बच्चों कों ओआरएस पैकेट देते हुए उन्होंने बताया की डायरिया पर नियंत्रण के लिए 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान, पर्याप्त पूरक आहार और विटामिन-ए देने की आवश्यकता है। उन्होंने रोटा वायरस के टीकाकरण को भी महत्वपूर्ण बताया, उन्होंने कहा की यदि बच्चे को डायरिया हो जाए तो जिंक-ओआरएस का प्रयोग असरकारी होता है। डायरिया के गंभीर मामलों के अस्पताल में उपचार की भी विशेष व्यवस्था होती है जहाँ इसके लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं।
मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, काउंसलर ,यूनिसेफ़,पीएसआई,पिरामल स्वास्थ्य, सिफार के जिला प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
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