कालाजार और फाइलेरिया के खिलाफ जंग में ग्रामीण चिकित्सकों (सूचना दाता) का मिलेगा साथ

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  • कालाजार और फाइलेरिया के मामलों की पहचान में करेंगे मदद
  • जिला कालाजार उन्मूलन की दिशा में अग्रसर
  • खोजे जाएंगे कालाजार के छुपे मरीज
वैशाली। कालाजार और फाइलेरिया उन्मूलन हेतु जंदाहा और बिदुपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अध्यक्षता में ग्रामीण चिकित्सकों (सूचना प्रदाता) का एक दिवसीय प्रखंड स्तरीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्रशिक्षण में कालाजार और फाइलेरिया के मामलों की पहचान करने के साथ ही समय पर संदर्भित करने के लिए सूचना दाताओं की भूमिका और महत्व के संबंध में बताया गया।
कालाजार और फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए बनी रणनीति:
कार्यक्रम में कालाजार और फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए विशेष रणनीति के साथ कार्य करने पर चर्चा हुई। जंदाहा एमओआईसी डॉ रविन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए पूरे बिहार में 100 प्रखंडों का चयन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया है, जिसमें वैशाली के तीन प्रखंड जंदाहा, बिदुपुर और लालगंज का चयन किया गया है। लालगंज प्रखंड में बुधवार को यह उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
डोजियर पेपर पर हुई चर्चा:
डोजियर पेपर तैयार करने हेतु ग्रामीण चिकित्सकों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। बिदुपुर की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रेखा कुमारी ने बताया कि जिला कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के बहुत नजदीक है। इसके लिए एक डोजियर पेपर तैयार कर राज्य स्तर पर भेजी जाएगी जिसके फलस्वरूप राज्य स्तरीय दल द्वारा जांच के बाद प्रमाणित किया जाएगा।
भीबीडीएस धीरेन्द्र कुमार और पिरामल के प्रोग्राम लीड पियूष कुमार ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य कालाजार और फाइलेरिया के खिलाफ जंग में सूचना दाताओं को प्रशिक्षित करना और इन बीमारियों के उन्मूलन में मदद करना है।
कार्यक्रम का लक्ष्य कालाजार के छुपे हुए मरीजों की खोज करना है। साथ ही संभावित कालाजार एवं फाईलेरिया के मरीजों को जल्द से जल्द पहचान कर समुचित इलाज के लिए प्रेरित करना, जिससे कि हम कालाजार उन्मूलन एवं इसके फैलाव को रोक सकें। साथ ही ग्रामीण चिकित्सकों से फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग करने, गलत भ्रांतियां, उल्टी, दस्त और चक्कर आने जैसे लक्षणों से बचाव करने और फाईलेरिया मरीज को स्वास्थ्य संस्थानों पर बुलाकर एमएमडीपी कीट देनें और फाईलेरिया रोगी को इस कीट इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षण में सहयोग करने की अपील की। जारूकता कार्यक्रम के अंतर्गत प्रचार-प्रसार हेतु भी सभी ग्रामीण चिकित्सक को सहयोग करने हेतू अपील किया गया।
इस उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में भीबीडीसी धीरेन्द्र कुमार, पिरामल प्रोग्राम लीड पीयूष कुमार, भीबीडीएस ऋषि कपूर, कृष्णदेव कुमार, एमओआईसी डॉ रेखा कुमारी, डॉ रविन्द्र कुमार सिंह, बीएचएम, बीसीएम, ग्रामीण चिकित्सकों सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि कालाजार एक वेक्टर (मच्छड़/मक्खी) जनित रोग है जो संक्रमित मादा बालू मक्खी के काटने से होती है। कालाजार का इलाज समय पर नहीं हो तो यह जानलेवा हो सकता है। सभी सरकारी अस्पताल में मुफ्त जांच एवं उपचार की सुविधा निःशुल्क है। कालाजार प्रभावित ग्रामों में (जहां पिछले 3 वर्षों में कोई मरीज प्रतिवेदित हो), वर्ष में दो बार कीटनाशक का छिड़काव (आईआरएस) कराया जाता है।
कालाजार के लक्षणों में दो सप्ताह से अधिक समय से बुखार, भूख न लगना, कमजोरी, प्लीहा (स्प्लीन) एवं लीवर बढ़ जाना एवं जोड़ों का दर्द शामिल हैं।
कालाजार मरीजों को इलाज के उपरांत मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना अंतर्गत 66 सौ रुपए एवं भारत सरकार से 500 रुपए सहित कुल 7100 रुपए दिए जाते हैं।
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