टीबी उन्मूलन में पंचायत प्रतिनिधि की भूमिका को साकार कर रही बबिता

4 Min Read
  • छह मरीजों को गोद लेकर बनीं है निक्षय मित्र
  • ग्राम सभा में वार्ड सदस्यों से करती हैं जागरूकता की विनती
  • टीबी रोगियों के खोज के लिए कराती हैं कैंप का आयोजन
सीतामढ़ी। 32 वर्षीय बबीता दो मोर्चों पर काम कर रही है। एक पचनौर पंचायत की मुखिया होने का और दूसरा टीबी उन्मूलन में सक्रिय भागीदारी का। टीबी जैसी बीमारी को सामाजिक कलंक मानने वाली जनप्रतिनिधि बबीता का ध्यान पहली बार टीबी पर तब गया , जब उनकी जानकारी के किसी परिवार में टीबी बीमारी ने उस परिवार के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को कमजोर कर दिया। इससे वह परिवार पूरी तरह टूट गया था। हांलाकि सामाजिक वर्जनाओं ने उन्हें उस समय मदद के हाथ न बढ़ाने दिए हों, पर अब वह अपनी पूरी समर्थता से टीबी रोग पर वार कर रही हैं। जिसमें उन्होंने जागरूकता, टीबी रोग की स्क्रीनिंग और पोषण को अपना हथियार बना लिया है।
पंचायत के सभी 6 टीबी मरीजों को लिया गोद:
पचनौर पंचायत की मुखिया होने के नाते बबीता को जब मौका हाथ लगा तो उन्होंने पूरे पंचायत में चिन्हित छह टीबी मरीजों को गोद ले लिया। एक निक्षय मित्र के नाते बबीता सभी टीबी मरीजों के पोषण का ख्याल रखती हैं। सुखद बात यह है कि छह में से एक टीबी मरीज अब पूर्णतः ठीक हो चुका है। इस बाबत बबीता कहती हैं –‘‘एक दिन सीनियर ट्रीटमेंट प्रोवाइडर सुधा सुमन मेरे पास निक्षय मित्र और टीबी के बारे में बताने आई। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे मन की बात बता रहा हो। समाज को कुछ देने के अवसर और टीबी उन्मूलन की सहयोग की भावना से मैं निक्षय मित्र बन गयी। मैंने सुधा से कहा कि मैं निक्षय मित्र बनने के अलावा भी टीबी उन्मूलन में अपना योगदान देना चाहती हूं। इस पर उन्होंने मेरी पहल देखकर बोला कि सबसे पहले हम सब मिलकर पचनौर को ही टीबी मुक्त पंचायत बनाएगें। इसके बाद सिलसिला चल पड़ा और हमने लोहासी गांव में पूर्व मुखिया और वार्ड सदस्य के सहयोग से टीबी सक्रिय रोगी खोज अभियान के लिए सफल कैंप का आयोजन किया। जिसमें 10 लोग टीबी के संदिग्ध निकले थे’’।
जन-प्रतिनिधि की मीटिंग में भी टीबी पर करती हैं चर्चा:
बबीता कहती हैं कि टीबी मुक्त पंचायत के लिए सबसे जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा संदिग्ध और टीबी रोगी खोजे जाएं। इसके लिए छिपे हुए टीबी मरीजों को चिन्हित करना जरुरी है। बबिता अपने सामान्य मीटिंग में भी अपने 15 वार्ड सदस्यों से संदिग्ध टीबी मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र भेजने की सलाह देती हैं। उनके इस काम में पूर्व के जनप्रतिनिधि भी हिस्सा लेते हैं। उनके पंचायत की लगभग 20000 की आबादी है, इसलिए अलग अलग गांवों में भी टीबी मरीजों की खोज के लिए वह कैंप लगाती है। बबिता का कहना है कि उनके कार्यों को देखने वालों के नजरों में यह भले ही दोहरा कार्य हो पर बिना टीबी उन्मूलन के पंचायत के विकास का सपना अधूरा सा लगता है।
39
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *