स्कूलों से प्रीफैब निर्माण का नही मिल रहा हिसाब, मामला करोड़ों का, तत्कालीन डीईओ व उनके रिश्तेदार का हुआ है वारा न्यारा, डीईओ ने भेजा अंतिम चेतावनी पत्र, क्या होगा कार्रवाई.. की होगी सिर्फ कागजी वार

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Live News 24×7 के लिए मोतिहारी से कैलाश गुप्ता की रिपोर्ट।
कहते है कि अल्लाह मेहरबान तो…….पहलवान। जी हां यह कहावत चरितार्थ कर रही है बिहार के स्कूलों में छत के ऊपर घर के निर्माण में। इस निर्माण में जहाँ संवेदक-प्रधानाध्यापक मालामाल हुए वही छोटे-बड़े अधिकारी भी अलग नही रहे।

एक तरफ जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने रिश्तेदार पर मेहरबान हुए तो उनके ऊपर अपर मुख्य सचिव तक की मिली छत्रछाया।

बताया जाता है कि मोतिहारी के तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार के द्वारा एक उच्च विद्यालय के छत के उपर अपने एक रिश्तेदार संवेदक के माध्यम से एक मॉडल के रूप में प्रीफैब का निर्माण कराकर पूरे राज्य में उसका मॉडल पास करवा दिया गया और खुद अपने रिश्तेदार संवेदक के माध्यम से किसी विद्यालय में एक-एक व दो-दो तो किसी विद्यालय में 7 प्रीफैब कमरे का निर्माण करवा दिया गया।

मजे की बात तो यह है कि जिस विद्यालय में 7 प्रीफैब कमरे का निर्माण कराया गया उसका भुगतान विद्यालय के विकास कोष से की गई, जिसके लिए न तो प्रबंधन समिति की बैठक कराई गई और न ही जिलाधिकारी सह अध्यक्ष से अनुमति ली गई, जबकि उसके वित्तिय अधिकारी स्वयं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना है और यह भी बताया जाता है कि आजतक उस कमरे का इस्तेमाल भी नही हो पाया है।

वही कार्यालयीय पत्रानुसार जिले के 311 प्राथमिक, मध्य, उच्च तथा उच्य माध्यमिक विद्यालयों का चयन कर विभाग से मो. 15 करोड़ 48 लाख 78 हजार रुपये का आवंटन प्राप्त कर लिया गया।

निर्माण हेतु योजना एवं लेखा संभाग द्वारा लगभग चार करोड़ रुपए विद्यालयों को भेज भी दिए गए जिसका हिसाब आजतक नही मिल पाया है।

वही बताया जाता है तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार के रिश्तेदार संवेदक व कुछ अन्य संवेदकों को बिना निर्माण के ही करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया है।

अब जब विद्यालयों के द्वारा निर्माण का हिसाब नही दिया जा रहा है तो बार-बार जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा पत्र देकर प्रधानाध्यापकों को चेतावनी दी जा रही है। पुनः जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने अपने पत्रांक 231 दिनांक 29 अप्रैल 25 से पत्र जारी कर कहा गया है कि यह अंतिम रूप से मौका दिया जा रहा है। जबकि इसके पूर्व में भी गत दिनांक 11अप्रैल को भी अंतिम स्मार पत्र देकर चेतावनी दी गई थी।

बहराल देखना यह है कि-

  • क्या जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार इस मामले का पर्दाफाश कर पाएंगे…..
  • क्या जिस विद्यालय में 7 प्रीफैब कमरे के निर्माण में नियम को ताक पर रखकर किये गए भुगतान के विरुद्ध जिला शिक्षा पदाधिकारी या जिलाधिकारी कार्रवाई करेंगे…..
  • या सिर्फ कागजी वार कर प्रीफैब निर्माण में हुई
    करोड़ो रूपये की बंदरबांट पर पर्दा डाल दिया जाएगा।
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