जीविका दीदी और आंगनबाड़ी सेविका/सहायिका चौपाल के माध्यम से लोगों को करेगी जागरूक
सीतामढ़ी। सिविल सर्जन डॉ अखिलेश कुमार, जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव व अनुमंडल पदाधिकारी बेलसंड ललित कुमार ने संयुक्त रूप से अनुमंडलीय अस्पताल बेलसंड के जेई/एईएस वार्ड का पर्यवेक्षण किया। 6 शय्या के सुसज्जित और एसओपी के अनुसार सभी जरूरी उपकरणों तथा दवाओं की की उपलब्धता से हुए संतुष्ट।
उपस्थित आशा कार्यकर्त्ताओं, एएनएम, स्वास्थ्य कर्मियों, एम्बुलेंस चालकों और ईएमटी को हमेशा चौकस रहने के लिए दी हिदायत।
सिविल सर्जन ने निर्देश दिया कि सभी आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर मस्तिष्क ज्वर के बचाव हेतु जानकारी देंगी। जीविका दीदी के साथ मिलकर आँगनबाडी सहायिका अपने अपने वार्ड मे चौपाल के माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगी- खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ का देंगी संदेश।
डॉ यादव ने बताया कि सभी आशा व आँगनबाडी सहायिका के पास ओआरएस और पैरासिटामोल उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सभी आशा कार्यकर्ता को निर्देश दिया गया है कि अपने क्षेत्र के सभी घरों में अपना मोबाइल नंबर दें क्योंकि अक्सर देखा गया है चमकी के लक्षण ज्यादातर सुबह में ही दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में लोग एम्बुलेंस या त्वरित चिकित्सकीय सहायता के लिए आशा को फोन कर पाएंगे।
ओझा गुणी के झांसे मे न आएं। 102 नंबर पर डायल कर एम्बुलेंस बुलायें और आशा दीदी के साथ शीघ्र अस्पताल पहुंचें। सभी सरकारी अस्पतालों मे मस्तिष्क ज्वर की जांच व ईलाज की सुविधा उपलब्ध है। इस वर्ष अभी तक कोई भी चमकी का मरीज प्रतिवेदित नहीं हुआ है वहीं गत वर्ष 15 मरीज थे।
लक्षण:
-चमकी के साथ तेज बुखार
-सरदर्द
-अर्द्ध या पूर्ण बेहोशी
-शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
तीन धमकी (खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ ) का करें हमेशा पालन:
खिलायें- बच्चों को रात में सोने से पहले भर पेट भोजन जरूर करायें। यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलाएं।
जगायें – रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं।
अस्पताल ले जाएं- बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत नि:शुल्क एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें।
सामान्य उपचार एवं सावधानी:
-तेज धूप में जाने से बचें।
-दिन में दो बार नहायें।
-रात में पूरा भोजन करके सुलायें।
-लक्षण दिखते ही ओआरएस का घोल या चीनी और नमक का घोल पिलायें।
क्या करें:
-तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजा पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें।
-पारासिटामोल की गोली/ सिरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें।
-यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलायें।
-बेहोशी /मिर्गी की अवस्था में बच्चों को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाएं।
-चमकी आने पर मरीज को बायें या दायें करवट लिटाकर ले जाएं।
-बच्चे को शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें।
-अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से -पोछें जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।
-तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी या कपड़े से ढँकें।
क्या ना करें:
-बच्चे को कंबल या गर्म कपड़ों में ना लपेटें।
-बच्चे की नाक बंद नहीं करें।
-बेहोशी/ मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी न दें।
-बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें।
-चूँकि यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है। अतः बच्चे के इलाज में ओझा गुणी में समय नष्ट न करें।
-मरीज के बिस्तर पर ना बैठे तथा मरीज को बिना वजह तंग न करें।
-ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर न हो और शांत वातावरण बनाये रखें।
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