- सदर अस्पताल में प्रतिदिन 70-80 बच्चों क़ो टीका लगाती है हेड नर्स मीरा सिन्हा
- बच्चों क़ो गर्मी व तेज धूप से बचाने एवं रात में हल्का मीठा खिलाने का देती है सीख
- बच्चों से प्रेम व अभिभावकों से कुशल व्यवहार है इनकी पहचान
मोतिहारी। सदर अस्पताल मोतिहारी के मदर एंड चाइल्ड केयर बिल्डिंग में बच्चों के टीकाकरण केंद्र में तैनात हेड नर्स मीरा सिन्हा कई वर्षो से टीकाकरण केंद्र में नियमित सेवाएं दे रहीं है एवं नियमित टीकाकरण के लाभ क़ो अभिभावकों क़ो बताती है। टीकाकरण केंद्र पर आए हुए माताओं क़ो शिशु की देखभाल, उचित खानपान के साथ ही समय पर टीकाकरण की सलाह देती है ताकि बच्चे कई गंभीर बीमारियों के प्रति सुरक्षित हो सकें। हेड नर्स मीरा सिन्हा ने बताया की की सदर अस्पताल के टीकाकरण केंद्र में प्रतिदिन 70-80 बच्चों क़ो टीकाकरण किया जाता है। जिनमें ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी आम है। उन्होंने बताया की अभी गर्मियों के मौसम में बच्चों में पानी की कमी हो सकती है इसलिए बच्चों क़ो गर्मी व तेज धूप में निकलने से एवं खेलने से रोकना चाहिए। अभी के समय में एईएस/जेई का भी प्रकोप बना रहता है इसलिए इस गंभीर रोग से बचाने के लिए बच्चों की सेहत पर ध्यान रखना चाहिए। उन्हें नियमित तौर पर हल्का आहार देना चाहिए, ओआरएस का घोल पिलाना चाहिए, रात में हल्का मीठा खिलाने चाहिए। रात में उठकर बच्चों क़ो देखना चाहिए की बच्चों में बुखार या कोई दिक्कत तो नहीं है। वहीं बुखार या आसमान्य लक्षण दिखे तो तुरंत ऐसे बच्चों क़ो सरकारी अस्पताल में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। सदर अस्पताल बच्चों के टीकाकरण के लिए आए मिट्ठू कुमार ने बताया की मीरा सिन्हा का बच्चों से प्रेम व अभिभावकों से कुशल व्यवहार व लगाव के कारण इन्हे जिले भर के लोगों में इनकी पहचान बनी हुई है। मीरा सिन्हा बताती है की इन्होने कोरोना काल में भी सरकारी पदाधिकारियों का टीकाकरण किया था।
समय पर टीकाकरण का देती है सीख:
हेड नर्स ने बताया कि बच्चों के जन्म के बाद उनको कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण कराया जाना जरूरी होता है। टीकाकरण से बच्चों के शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जिससे वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित होते हैं। बच्चों के नियमित टीकाकरण से वे जल्दी किसी भी बीमारी की चपेट में नहीं आते हैं। समय पर टीकाकरण नहीं कराने वाले बच्चों के बीमार होने का खतरा अधिक होता है, ऐसे बच्चे बार- बार बीमार होकर कमजोर व कुपोषित हो जाते हैं जिसका असर उनके शरीर एवं मन पर पड़ता है।बच्चों के लिए जरूरी होता है। खसरा, टिटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलघोंटू, काली खांसी और हेपेटाइटिस बी जैसे रोगों से बचने के लिए समय पर टीकाकरण जरूरी है। कुछ टीके गर्भवती महिलाओं को भी लगाए जाते हैं, जिससे उन्हें व होने वाले शिशु को टिटनस व अन्य गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। बच्चों को जुकाम, बुखार होने पर उन्हें टीका न लगवायें।
सुरक्षा के लिए ये टीके लगवाने होते हैं जरूरी:
बच्चे के जन्म लेते ही उन्हें– ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
डेढ़ महीने बाद – ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
ढाई महीने बाद – ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
साढ़े तीन महीने बाद – ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
9 से 12 माह मे मीजल्स-रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
16 से 24 माह में – मीजल्स-रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2 का टीका जरुरी होता है।
