अशोक वर्मा।
अरेराज, पूर्वी चंपारण : पहाड़पुर के निवासी जिले में नव गठित वरिष्ठ नागरिक मंच के अधिकारी तथा पेंशनर समाज के उपाध्यक्ष बंशीधर प्रसाद ने गोविंदगंज विधायक सुनीलमणि तिवारी से मिलकर जिले में वरिष्ठ नागरिकों के समक्ष उत्पन्न हो रहे समस्याओं से अवगत कराया। कहा कि सरकार लुभावने कानून बनाकर संबंधित लोगो को खुश तो कर देती है लेकिन कानून जमीन पर नही उतर रहा है अत: इसकी निगरानी होनी चाहिए ताकि जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके वरिष्ठ नागरिक अंतिम समय में तनाव मुक्त् जीवन जी सके,और वे खुले वातावरण में सांस ले सके यह उनका कानूनी अधिकार भी है ।उन्होंने कहा कि रेलवे, बैंक या थाना, कोर्ट कचहरी कहीं भी वरिष्ठ नागरिकों को किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही है ।उन्होंने विधायक से कहा कि कोरोना काल के आड़ में केंद्र सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन में मिलने वाली टिकट रियायत को भी समाप्त कर दिया। रियायत बंदी कुछ दिनों के लिए ही की गई थी लेकिन अभी भी वह जारी है जिससे वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन से यात्रा करने में आर्थिक रूप से काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ वृद्धाश्रम खोल देना समस्या का समाधान नहीं है बल्कि भावनात्मक स्नेह, प्यार और सम्मान हर वरिष्ठ नागरिक को उसके परिवार के सभी सदस्यो से मिले इसकी जरूरत है।पुलिस और जन प्रतिनिधि को मॉनिटरिंग खुद करनी चाहिए ।सुझाव मे कहा कि हरेक वार्ड में एक कमेटी बनाकर प्रत्येक माह रिपोर्ट मंगवाई जाय और उसे एसपी के यहां सुपुर्द करें ताकि वरिष्ठ नागरिकों को किसी तरह का कोई कष्ट नहीं हो। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिक शारीरिक रूप से भी अक्षम हो जाते हैं और इसका लाभ परिवार के लोग उठाते हैं। कई घरो मे उन्हें एक तरह से कैद का जीवन जीने की विवशता देखी जा रही है जो कहीं से भी मानवीय नहीं है। उन्होंने बिहार में लागू वृद्धा पेंशन जिसकी राशि ₹400 दी जाती है इस पर भी ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि विधायक जी आप खुद सोचिए कि वर्तमान समय होटल में ₹400 में एक समय का भोजन मिलता है और यह ₹400 मासिक पेंशन जो दिया जा रहा है या तो इसे बंद कर दिया जाए या कम से कम ₹4000 जरूर किया जाए । अगर वरिष्ठ नागरिक को यह पेंशन के रूप में ₹4000 मिलेगा तो परिवार के लोग भी उस रुपए के लालच से उनकी देखभाल अच्छी तरह से करेंगे। बंशीधर भाई ने यह भी कहा कि वृद्धा आश्रम में जितनी मासिक राशि सरकार खर्च कर रही है इसका एक चौथाई भाग भी अगर वृद्ध जनों को नकद उसके खाते में डाल दिया जाए तो घर में ही उनका मान सम्मान प्रतिष्ठा देखभाल सब कुछ उपलब्ध हो जाएगा । चिकित्सा के लिए केंद्र सरकार ने कार्ड बनवा दिया है उससे उनका इलाज हो जाएगा लेकिन भावनात्मक प्रतिष्ठा, सम्मान मिलना चाहिए जो प्रतिष्ठा किसी भी वृद्धाश्रम में संभव नहीं है। उन्होंने वृद्धो के प्रति सम्मान देने हेतु आध्यात्मिक संगठनो के सहयोग से गांव-गांव में एक अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने का सुझाव दिया ताकि नई पीढी बुजुर्गो का इज्जत करें और सम्मान दे। अगर जिस घर में संपत्ति के लिए लड़ाई हो रही हो , उनके वंशजों को समझाया जाए कि माता पिता की संपत्ति तो उसके औलाद की ही होती है इसके लिए वारिस का कानून बना हुआ है इसलिए उनके जीवन काल से कम से कम संपत्ति को मां-बाप से जबरन न छीना जाए ताकि मनोवैज्ञानिक रूप से वह संपत्ति उनके जीवन का आधार रहे। वह संपत्ति उनका संबल बनकर रहे ।इससे उनको सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा मिलती रहेगी।
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