पटना: भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना के हरि उप्पल प्रेक्षागृह में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वावधान में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम “शरदोत्सव” का आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, लोकनृत्य और गायन की विभिन्न प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के शुरुआत में उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की याद में 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई ।
कार्यक्रम का उद्घाटन श्री सुशांत कुमार, प्रशासी पदाधिकारी, श्री अशोक कुमार सिंह, शिक्षक, श्री मनोरंजन ओझा, शिक्षक, श्रीमती सुदीपा घोष, शिक्षिका, श्री कुमार कृष्ण किशोर, शिक्षक , श्री बम शंकर मिश्र, शिक्षक एवं श्री सुरेंद्र चौधरी, अवर सचिव द्वारा द्वीप प्रज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम में भरतनाट्यम विभाग की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना, शिव स्तुति और देवी स्तुति से सभी दर्शकों का मन मोह लिया। आगे शिक्षक, श्री अशोक कुमार प्रसाद और रचना विभाग की छात्र-छात्राओं द्वारा शरदोत्सव गीत की प्रस्तुति दी गई।
सभी विभागों ने अपनी प्रस्तुति से उपस्थित लोगो का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में रचना विभाग के छात्रा द्वारा तबला और बाँसुरी वादन प्रस्तुत किया गया। लोकनृत्य विभाग की छात्राओं द्वारा झिझिया लोकनृत्य ने समा बांध दिया। ओडिसी विभाग की शिक्षिकाओं द्वारा ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति फिजा में अलग रंग ही घोल दी। मुखौटा नृत्य ने उपस्थित दर्शकों पर अलग ही छाप छोड़ा। इसके बाद शारदोत्सव गीत समूह और एकल गजल गायन की प्रस्तुतियों ने माहौल में सांस्कृतिक रस घोल दिया।
ओडिसी नृत्य और लोकनृत्य की प्रस्तुति में कलाकारों ने अपनी कला का ऐसा प्रदर्शन किया कि प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। “सोहर” और “खेलवन” जैसे पारंपरिक लोक गीतों को छात्र-शिक्षकों ने सजीव किया, जिससे बिहार की सांस्कृतिक परंपरा का गौरवपूर्ण प्रदर्शन हुआ।
कथक विभाग की प्रस्तुतियों ने विशेष रूप से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। मीरा गीत आधारित नृत्य और श्री कृष्ण रास में भावनात्मक अभिव्यक्ति और नृत्य की लयकारी देखने को मिली। छात्राओं द्वारा शिव वंदना की प्रस्तुत ने पूरे माहौल को शिवमय कर दिया। इसके अलावा कहरवा वादन में हारमोनियम, सितार, तबला और पखावज के समन्वय ने माहौल को संगीतमय कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित दर्शकों और अतिथियों ने कलाकारों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और भारतीय नृत्य कला मंदिर के इस आयोजन को “सांस्कृतिक चेतना का अनूठा मंच” बताया।
भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना के इस कार्यक्रम ने न केवल कलाकारों को मंच दिया बल्कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सहेजते हुए नई पीढ़ी को इससे जोड़ने का प्रयास भी किया।