“दायित्व से ज्यादा कर्तव्य निर्वहन में खुशी मिलती है” – अनंत धीश अमन 

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गया।पूर्वजों के प्रति अकल्पनीय श्रद्धा का महाकुंभ पितृपक्ष महासंगम की व्यवस्था हेतु बिहार सरकार और जिला प्रशासन, संवास सदन समिति, मंदिर प्रबंधकारनी समिति विष्णुपद गया जी तीन चार महीने पहले से व्यवस्था को सुदृढ़ करने में जुटे रहते है तो उनका ध्येय एकमात्र तीर्थयात्रियों की श्रद्धा को अटूट और सुदृढ़ करना होता है।
हर ऐसी छोटी-मोटी व्यवस्था चाहे सुरक्षात्मक, आवासन, स्वास्थ्य, स्वच्छता,  स्वचछ और स्वस्थ भोज पेय की व्यवस्था और सबसे महत्वपूर्ण भीङ प्रबंधन,यातायात प्रबंधन और आपदा प्रबंधन की व्यवस्था महत्वपूर्ण होता है।इन सारी व्यवस्थाओं को नियंत्रणपूर्ण बनाने में जिलापदाधीकारी डाॅ त्यागराजन एस एम और विभिन्न विभागों के वरीय पदाधिकारियों की भूमिका अहम होती है जिससे सुचारू रुप से यह पितृपक्ष महासंगम संचालित होता है। समाजिक रुप से जुङे लोग अपने विचारों और कार्यों से इन व्यवस्थाओं को जमीन तक उतारने का काम करते है जिसकी भूमिका हर व्यवस्थाओं में मूलभूत आधार को स्थापित करता है। ऐसे हीं व्यक्तित्व को अपने अंदर समाहित करने वाले अपने शहर के चर्चित युवा साहित्यकार, समाजसेवी भाई अनंत धीश अमन  है जो लगातार कई वर्षों से पूर्वजों के प्रति अकल्पनीय श्रद्धा के महाकुंभ पितृपक्ष में अपनी अहम भूमिका निभाते आए है और जिला प्रशासन, विष्णु  प्रबंधकारनी समिति और समाज का अपने कार्यों से दिल जीतते आए है। उनके नेतृत्व में हीं दो वर्षों से दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग के छात्रों  पितृपक्ष महासंगम को समझने और इसमें सहयोग करने का कार्य किया है। इनकी तत्परता और सहयोग की भावना कभी रात को 12  बजे तीर्थयात्रियों को होटल खोजने में या कभी रात के 01 बजे मेडिकल में तीर्थयात्रियों की मदद करने में होती है। इस समापन संबोधन में भी जिलापदाधीकारी डाॅ त्यागराजन एस एम के द्वारा इनका नाम उल्लेख किया गया की इनके प्रयास के हीं द्वारा मंदिर के बाहर जूता चप्पल स्टैंड की व्यवस्था की गई जो काफी सराहनीय है। हम सबों को भी कई वर्षों से इस महासंगम में बङे भाई अनंत धीश अमन  के द्वारा हिस्सा बनाया गया जो की बेहद हीं गौरवपूर्ण है अनंत जी का हमेंशा कहना होता है दायित्व से ज्यादा कर्तव्य निर्वहन में खुशी मिलती है।
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