- 31 अगस्त, को अपने क्लीनिक में रखे हैं यह अनोखा प्राचीन आयुर्वेद विथि कार्यक्रम
मोतिहारी : नगर मे अपने क्लीनिक में डॉ विकास कुमार विगत कई वर्षों से चला रहे हैं सुवर्ण प्रासन विधि । 31 अगस्त को अपने क्लीनिक में आयोजित इस बार के वृहद आयोजन पर उन्होंने बताया कि यह संस्कार बच्चों में जन्म से लेकर सोलह वर्ष तक की आयु में किया जाता है।
यह संस्कार पुष्य नक्षत्र में किया जाता है अर्थात पुष्य नक्षत्र के दिन किया जाता है । इसमें सुवर्ण भस्म,बुद्धि बर्धक जड़ी बूटियों से निर्मित शुद्ध देसी गाय का घृत जैसे ब्राह्मणी घृत और मधु से बनाया गया औषधि को मात्रा के अनुसार दिया जाता है ।
इसका विस्तृत वर्णन आयुर्वेद में बच्चो के ग्रंथ कास्यप संहिता में किया गया है।
इस संस्कार से बच्चों के शारीरिक , मानसिक एवम रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात रोगप्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है। बच्चों की भूख प्यास माल विसर्जन क्रिया खाए हुए पदार्थ का समुचित पाचन होकर शरीर की वृद्धि समुचित तरह से उम्र के अनुसार होती है।
हर मौसम में ,गर्मी सर्दी बरसात को शरीर बर्दाश्त करने की क्षमता का विकास होता है।
सुनकर देखकर सूंघकर अनुमान लगाकर सोचने समझने की बुद्धि विकसित होती है , मस्तिष्क का विकास समुचित तरीके से होता है अच्छा और खराब की समझ विकसित होती है।
याददाश्त क्षमता बढ़ता है।
बच्चों के ग्रह बाधा दूर होकर संपूर्ण स्वास्थ्य बच्चो को प्राप्त होता है । इस प्रकार यह औषधि बच्चो के लिए ऊर्जा एवम स्फूर्ति प्रदान करने वाले समस्त उपायों में श्रेष्ठ है।
पुष्य नक्षत्र हर हिंदी महीने के 27वे दिन आता है। यह नक्षत्रों का राजा है प्रायः हर शुभ कार्य इस दिन करने की प्रथा है , इस दिन किया गया कार्य निश्चित सफलता दिलाता है । अतः पुष्य नक्षत्र के दिन ही यह संस्कार बच्चो में किया जाता है।
पुष्य नक्षत्र गुरु बृहस्पति है और इसका कार्य समुचित रूप से गुरु की भांति होता है। गौरतलाप है कि डॉक्टर विकास कुमार कोरोना काल में अपने विशेष आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से काफी कोरोना के मरीजो का सफल इलाज करा कर कीर्तिमान स्थापित किया था जिसके लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया था।
डॉ विकास कुमार ने फोन नंबर जारी कर कहा कि कोई भी कभी भी मुझसे किसी भी प्रकार की जानकारी ले सकता है।
7004879366
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