विश्व मगरमच्छ दिवस पर बिहार के वाल्मिकी टाइगर रिजर्व से निकलकर बहने वाली गंडक नदी में सोमवार की शाम को 160 घड़ियाल को छोड़ा गया। इस दौरान घड़ियाल के अंडे कैसे बाहर निकलते हैं उसे भी वीडियो के माध्यम से दिखाया गया। यह पल काफी रोमांचक और रोचक भरा हुआ था।
दरअसल घड़ियाल के अंडे जब परिपक्व हो जाते हैं तो उनमें से एक विशेष तरह की आवाज आने लगती है। अंडों से बच्चे निकलने की प्रक्रिया बड़ी रोचक होता है। सोमवार को 160 नन्हें मेहमानों ने टापू पर आंखे खोल दीं। इन सभी को सुरक्षित नदी में छोड़ दिया गया है।
17 जून को विश्व मगरमच्छ दिवस पर गंडक नदी से बहुत ही शुकून देनी वाली खबर आई है। इस साल गंडक नदी में घड़ियालों के 160 बच्चे अण्डों से निकल कर अपने प्राकृतिक अधिवास यानि नदी में चले गए। WTI के घड़ियाल संरक्षण के प्रोजेक्ट इंचार्ज सुब्रत बेहरा ने बताया कि इस वर्ष नदी में घड़ियालों के 6 घोंसले पाए गए।
यह पहली बार भी है जब उत्तर प्रदेश के सोहगीबरवा वन्यजीव अभयारण्य में एक का घड़ियाल घोंसला पाया गया। यह घोंसला साधु घाट के पास स्थित था। “पांच घोंसले बिहार में धनाहा-रतवाल पुल के पास पाए गए। इस वर्ष पाए गए छह घोंसलों में से पांच सफलतापूर्वक फूटे हैं। जबकि एक घोंसला अभी तक नहीं फूटा है। VTR के क्षेत्र निदेशक डॉ, के. नेशामणि ने बताया कि इतनी संख्या में घोसलों का मिलना गंडक में घड़ियालों के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर है।
2016 में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया ने नदी में पहली बार घड़ियालों के प्रजनन दर्ज किए। उसके बाद करीब प्रत्येक वर्ष यहाँ घड़ियाल के घोंसले दर्ज किए गए हैं। घड़ियालों के जनसंख्या के मामले में गंडक नदी का नाम चंबल के बाद दूसरे स्थान पर दर्ज है। मार्च महीने के अंत में मादा घड़ियाल नदी से सटे बालू के ऊँचे टीले में घोसला बनाकर अंडे देती है। करीब दो महीने के बाद इन अण्डों से बच्चे निकलते हैं।
WTI और वन विभाग स्थानीय लोगों के सहयोग से इन घोसलों की रक्षा करते हैं और बच्चे निकलने के बाद उन्हें नदी में छोड़ देते हैं। पिछले वर्ष 9 घड़ियाल के घोसले पाए गए थे, जिसमें 125 घड़ियाल के बच्चों को सफलतापूर्वक गंडक नदी में छोड़ गया था। प्रत्येक वर्ष लगातार घड़ियालों की वृद्धि हो रही है इससे जाहिर हो रहा है कि गंडक नदी घड़ियालों के लिए सुरक्षित जोन बनती जा रही है।
