घर का वेस्ट मैनेजमेंट नौनिहालों को देगा डायरिया व कुपोषण से मुक्ति

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  • इस वर्ष 2 करोड़ 24 लाख ओआरएस व 2 करोड़ 35 लाख जिनक पैकेट बांटने का लक्ष्य 
  • पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 90 प्रतिशत रहा था सघन दस्त पखवाड़े का आच्छादन 
पटना। बच्चों में होने वाली डायरिया और उससे उपजी गंभीर परिस्थिति के लिए हमारे घरों के वेस्ट मैनेजमेंट भी जिम्मेवार हैं। घर और घरों के आसपास साफ-सफाई या कचरे का वर्गीकरण और निस्तारण में हम आज भी पीछे हैं, जिससे डायरिया का संक्रमण हमारे घरों पर हमले को हमेशा तैयार रहता है। राष्ट्रीय परिवार हेल्थ सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार में डायरिया का प्रसार दर 13.74 है।
डायरिया के सम्बन्ध में सामाजिक परिप्रेक्ष्य को समझाते हुए ‘विशेष बातचीत’ में ये बातें आईआईटी, पटना में ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ आदित्य राज ने कही। डॉ राज ने बताया कि मध्यम वर्ग के लोग जो बाहर खा-पी रहे हैं, वे वहां कैसी हाइजेनिक स्थिति में और क्या खा रहे हैं? बिना ढका हुआ और साफ़-सफाई का ध्यान रखे बना बाहर का खाना भी डायरिया की बड़ी वजह है। कई घरों में बासी खाना खाने का प्रचलन है और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान नहीं रखना भी खासकर बच्चों में डायरिया का प्रमुख कारक है। इसलिए महिलाओं के साथ घर के पुरुषों को भी चाहिए कि घरेलू चीजों की खरीदारी वहीं से करें जहां चीजें साफ-सुथरी व ताजी मिलती हो। यह पुरुषों की भी जिम्मेवारी है कि बच्चों को हाथ धोने से लेकर व्यक्तिगत स्वच्छता के तौर—तरीके सिखाएं।
डायरिया व कुपोषण से बचाव के लिए ओआरएस और जिंक का होगा वितरण
इस बीच, राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी पत्र के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग 38 जिलों में 2 करोड़ 24 लाख ओआरएस के पैकेट, 2 करोड़ 35 लाख जिंक के टैबलेट ‘गहन सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े’ के तहत जून/जुलाई में बांटेगी। इसमें राज्य के पांच साल तक के करीब 1 करोड़ 81 लाख बच्चों के बीच ओआरएस के पैकेट बांटे जाएंगे। वहीं आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को और ख़ासकर समुदाय में व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में बतायेंगी। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में ओआरएस कॉर्नर भी बनाए गए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में ‘सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े’ का आच्छादन लगभग 90 प्रतिशत के आसपास रहा था।
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