मझौलिया बदलते परिवेश में शादी विवाह कार्यक्रम में पुरानी सभ्यता को भूलने लगे हैं।सदियों से चली आ रही शादी समारोह में महिलाओं के द्वारा मंगल गीत गाया जाता था।जो मनमोहक लगता था।लेकिन आज बिल्कुल परिवर्तन देखने को मिल रहा है।आज के शादी समारोह में डीजे के धुन पर पुरुष एवं महिलाओं को थिरकते देखा जा रहा है।यहां तक कि शादी के एक दिन पूर्व हिन्दू रीतिरिवाज में मटकोर की रश्म होती है।जिसमें पहले महिलायें मंगल गीत गाते माटी कोड़ने को जाती है।और बहने कुदाल से मति कोड़ भाई को आशीर्वाद देती है।परंतु आज तो बिल्कुल विपरीत हो गया है।आज के नए फैसन के युग मे जेसीबी से माटी कोड़ने का रश्म देखने को मिलता है।उसमें भी एक आश्चर्यजनक बात यह भी दिखाई देती है कि इस युग मे महिलाओं द्वारा मंगल गीत नही गाया जाता है।उसके बदले लोग डीजे बजाते हैं।उसी पर महिलाएं डान्स करती है।ऐसा ही कुछ दृश्य मझौलिया के बखरिया पंचायत के वार्ड नम्वर 2 में निक्कु पटेल के बेटा मनीष कुमार की मटकोर के रश्म में देखने को मिला है।जहां नया बदलाव एवं रोचक बनाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।जहां मिट्टी कोडाई रस्म जेसीबी से किया गया।जिसकी चर्चा जोरों पर है।परिजनों ने कथामटकोर के रस्म में डीजे एवं जेसीबी के साथ मिट्टी कोडाई स्थल पर पहुंचे।जिसे देखने के लिए लोगों की भी उमड़ पड़ी।बड़े हर्ष उल्लास के साथ मिट्टी के कोडाई के रस्म को पूरा किया गया। जो मझौलिया प्रखंड के लिए एक अनोखा माटी कोडाई रस्म है।बरात बखरिया से निकल 26 अप्रैल को सुगौली थाना अंतर्गत बगही जाएगी। पिता निक्कू पटेल एवं दूल्हा मनीष कुमार ने बताया कि कुदाल से मिट्टी कोडाई परंपरा पुराना परंपरा है।इसलिए नया परंपरा को शुरू करना है। इसलिए मेरे मन में पूर्व से ही मिट्टी कोडाई रस्म में जेसीबी से करने का था। जेसीबी से मिट्टी कोडाई मुझे बहुत पसंद हैं। इसलिए हम लोगों ने माटी कोड़ाई रस्म में जेसीबी लेकर गए।हिन्दु सभ्यता संस्कृति में मिट्टी कोडाई रस्म विशेष महत्व है।इस रस्म में भाई बहन के प्रेम को अटूट करता है।भाई बहन की सुरक्षा समेत आने को उपहार के साथ आशिर्वाद देते हैं।
