अशोक वर्मा
मोतिहारी : बुधवार को मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर राजनीतिशास्त्र विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी का विषय”भारतीय ज्ञान परंपरा”था जिसपर अनेक वक्ताओं ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता के रूप में बी.आर.अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)मनोज कुमार, तंत्रशास्त्र के विद्वान अमल कुमार झा,प्राचार्य डॉ.अरुण कुमार,हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.मृगेंद्र कुमार, राजनीतिविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.अमित कुमार और शोध अध्येता मनीष कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।स्वागत संबोधन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.मनीष कुमार झा ने किया।इस अवसर पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो.मनोज कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा अत्यंत विशाल,प्रांजल एवम विस्तृत है जिसकी अनेक शाखाएं हैं।दिक्कत की बात यह है कि अपने ज्ञान ग्रंथों को पढ़े बिना हम पाश्चात्य ज्ञान को उसके ऊपर समझते हैं।हमें औपनिवेशिक दृष्टि से ऊपर उठकर अपने शास्त्रों को देखना समझना होगा। विशिष्ठ अतिथि के रूप में मिथिला से पधारे तंत्रज्ञाता अमल कुमार झा ने मिथिलांचल की ज्ञान परंपरा और भारतीय ज्ञान परंपरा का अत्यंत सुंदर विश्लेषण करते हुए समृद्ध लोक परम्परा पर भी तफसील से प्रकाश डाला।संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मुंशी सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार ने कहा कि हमारी ज्ञान परंपरा अत्यंत समृद्ध है।जब हम इसपर ध्यान केंद्रित करते हैं तो वेद,पुराण,उपनिषद,ज्योतिष,खगो