पराम्बा शक्तिपीठ सेवा ट्रस्ट एवं मानस सत्संग समिति के तत्त्वावधान  पराम्बा शक्ति पीठाधीश्वर  आश्रम में श्रीमद्भागवत् गीता जयन्ती समारोह का भव्य आयोजन हुआ।

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अशोक वर्मा
मोतिहारी :  नगर के परंबा सेवा शक्ति पीठ ट्रस्ट चंचल बाबा आश्रम एवं मानस सत्संग समिति द्वारा आश्रम परिसर में आयोजित समारोह में उपस्थित विद्वानों व आचार्यो ने श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
 अपने संबोधन में वक्ताओं ने कहा कि अठारह अध्याय एवं सात सौ श्लोकों में लिखित भगवद्गीता में समस्त वेद और शास्त्रों का सार तत्व है। भगवद्गीता में कर्म,  उपासना एवं ज्ञान का वर्णन है। रहस्यमयी ग्रंथ भगवद्गीता के अध्ययन से समस्त वेद एवं शास्त्रों का तात्विक ज्ञान प्राप्त होता है। गीता मानव जीवन के उदेश्य और लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग बताता है, जो स्वंय नारायण के मुख से निकली है। वारहपुराण में   उल्लेखित एक श्लोक में भगवान कहते हैं— ‘गीता के आश्रय में रहता हूं, गीता मेरा घर है। गीता का ज्ञान लेकर तीनों लोको का पालन करता हूॅ’। गंगा स्नान एवं गायत्री मंत्र जाप से मोक्ष की प्राप्ति होती है, परन्तु गीता का श्रवण, पठन-  पाठन व इसे धारण करने वाला तरण – तारण बन जाता है। भगवद्गीता में भक्ति, ज्ञान और जीवन- दर्शन का अथाह भंडार है। भक्ति अद्वैत है, भक्ति मैं से मुक्ति है और ईश्वर के प्रति समर्पण है, जबकि ज्ञान में आशा और निराशा दोनों तत्त्व निहित हैं।
समारोह की अध्यक्षता पराम्बा शक्ति पीठाधीश्वर श्री चंचल बाबा ने की, जबकि संचालन मानस मर्मज्ञ प्रो. रामनिरंजन पाण्डेय ने किया। विद्वत वक्ताओं में मुंशी सिंह काॅलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. (डाॅ.) अरुण कुमार, प्रो. शोभाकाॅत चौधरी, प्रो. सुरेश चंद्र प्रसाद, ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद मिश्रा आदि ने श्रीमद्भगवद्गीता के उदेश्यों को अपने सारगर्भित उद्बोधन से साकार कर दिया। कार्यक्रम में कई लोग सम्मानित किए गए सम्मानित होने वालों में मुंशी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर अरुण कुमार संस्कृति कर्मी संजय पांडे  प्रोफेसर राम निरंजन पांडे आदि थे।
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