मामला बिहार के पश्चिमी चम्पारण जिले की है जहां जिले के बगहा के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय टोला परसौनी में मिड डे मील खाने से 125 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। घटना के बाद स्कूल में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। स्थानीय लोगों की मदद से कुछ बच्चों को इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया गया तो कुछ बच्चों को शहर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इसमें 3 बच्चे की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिसे अनुमंडल अस्पताल से रेफर कर दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार स्कूल में 443 बच्चे पढ़ते हैं। खाना स्कूल में ही बना था, जिसे एक क्लास के छात्रों को छोड़कर सभी बच्चों ने खाया। वहीं, सूचना मिलने पर बच्चों के परिजन भी अस्पताल पहुंच गए हैं।
बच्चों ने शिक्षक को बताया कि खाना अच्छा नहीं लग रहा है। सब्जी से पेट्रोल जैसा स्वाद आ रहा है। वहीं, बीईओ धीरेंद्र शर्मा ने बताया कि रसोईया ने भोजन को टेस्ट किया था। उसने बताया कि सब्जी का टेस्ट खराब लग रहा था। बावजूद इसके बच्चों को खाना खिला दिया गया।
खाना खाने के बाद बच्चों के पेट में दर्द शुरू हुआ और फिर उल्टियां शुरू हो गई। इसके बाद कुछ बच्चों को रामनगर उप स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। वहीं, अन्य बच्चो का इलाज बगहा के अनुमंडल अस्पताल में इलाज चल रहा है।
घटना को लेकर डॉक्टर ने बताया कि अभी तक दोनों अस्पतालों में तकरीबन 125 बच्चों को भर्ती कराया गया है। अनुमंडल अस्पताल में 80 और रामनगर उप स्वास्थ्य केंद्र में 45 बच्चे भर्ती हैं, जिन्हें फूड पॉइजनिंग की शिकायत है। फिलहाल सभी खतरे से बाहर हैं।
वही सोमवार को हुई इस घटना को लेकर कोई वरीय पदाधिकारी अस्पताल में नहीं पहुंचे थे। इधर, बच्चों के पेरेंट्स और स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। लोगों ने बताया कि आए दिन एनजीओ की ओर से खाना बनाने में लापरवाही बरती जा रही है। इस कारण बच्चों की तबीयत बिगड़ गई है।
वहीं, एमएलसी भीष्म सहनी ने बताया की मिड डे मिल खाने से बच्चे बीमार हुए हैं। बच्चों का इलाज चल रहा है। इस मामले की जांच की जाएगी और जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दे कि जून 2023 में भी बगहा में एक एनजीओ की ओर से डिलीवरी किए गए खाना खाकर 100 से ज्यादा बच्चे बीमार हुए थे। बगहा प्रखंड दो के राजकीय मध्य विद्यालय नरवल बरवल में यह घटना घटी थी। इसकी जांच मानवाधिकार आयोग कर रही है।
