- जिला समन्वय समिति बैठक में जिलाधिकारी ने दिया आदेश
- लक्ष्य के विरुद्ध कम से कम 89 प्रतिशत दवा खिलाने का दिया निर्देश
- फाइलेरिया से ज्यादा प्रभावित प्रखंडों में कारण ढूंढने को कहा
वैशाली : फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए 10 फरवरी से चलाए जाने वाले एमडीए/आइडीए कार्यक्रम की सफलता के लिए सोमवार को जिलाधिकारी के कक्ष में जिला समन्वय समिति की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने की। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने फाइलेरिया के लिए चलाए जाने वाले एमडीए/आइडीए कार्यक्रम के दौरान कुल लक्ष्य 40 लाख 73 हजार 265 लोगों के विरुद्ध कम से कम 89 प्रतिशत के बीच दवा एडमिनिस्ट्रेट करने को कहा। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ गुड़िया कुमारी के द्वारा फाइलेरिया मरीज की संख्या बताने पर जिलाधिकारी ने उनके एज प्रोफाइल को भी अलग करने के साथ फाइलेरिया से ज्यादा प्रभावित होने वाले प्रखंड में उनके असल कारणों की भी जांच करने का निर्देश दिया। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ गुड़िया ने जिलाधिकारी को बताया कि 20 दिसंबर से 23 दिसंबर तक हुए नाइट ब्लड सर्वे में कुल 10 हजार 200 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए। उसमें से अभी तक 66 सौ जांच में 41 पॉजिटिव केस पाए गए।
विभागों को समन्वय स्थापित करने का निर्देश:
बैठक के दौरान जिलाधिकारी यशपाल मीणा ने सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान पंचायती राज विभाग, नगर परिषद् आईसीडीएस, शिक्षा विभाग, जीविका, सामाज कल्याण विभाग, पीएचईडी सहित अन्य विभागों को दवा खिलाने के दौरान विभागीय समन्वय सुनिश्वित करने का निर्देश दिया।
स्वस्थ व्यक्ति को भी खानी है दवा:
बैठक के दौरान डॉ गुड़िया कुमारी ने जिलाधिकारी को बताया कि लगातार तीसरे साल जिले में ट्रिपल ड्रग थेरेपी की दवा खिलाई जाएगी। इस थेरेपी में आइवरमेक्टिन, डीईसी और अल्वेंवेंडाजोल की गोली 3134 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर की मौजूदगी में खिलाई जाएगी। यह दवा स्वस्थ व्यक्ति और फाइलेरिया दोनों ही प्रकार के लोगों को खानी है। जिन्हें दवा नहीं खानी है उनमें गर्भवती महिला, दो साल से कम उम्र के व्यक्ति और गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्ति शामिल हैं। अभी जिले में फाइलेरिया के कुल 17 हजार 223 मरीज हैं, जिसमें 73 प्रतिशत को पैर में, 8 प्रतिशत को हांथ में तथा 6 प्रतिशत को हाइड्रोसील में फाइलेरिया है।
लक्षण उभरने में लगते हैं 10-15 साल:
जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ गुड़िया कुमारी ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। भारत में विकलांगता का यह दूसरा सबसे बड़ा कारक है। इसके लक्षण उभरने में 10-15 साल तक लग जाते हैं। इससे बचाव के लिए प्रत्येक वर्ष सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाता है। इससे प्रभावित अंग पैर, हाइड्रोसील, हाथ, स्तन, के अलावा अन्य शरीर के अंग शामिल हैं। बैठक के दौरान सीएस डॉ श्यामनंदन प्रसाद, एसीएमओ डॉ अनिल शर्मा, डीआइओ डॉ उदय नारायण सिन्हा, सीडीओ डॉ सीताराम सिंह, डीएमओ डॉ गुड़िया कुमारी, डब्ल्यूएचओ की जोनल कोओर्डिनेटर डॉ माधुरी देवराजु, डॉ श्वेता, डीसीएम निभा रानी सिन्हा, पीसीआई के डीएमसी अखिलेश कुमार, पीरामल से पीयूष चंद्रा, अनिमेश कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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