समाज में दहेज प्रथा कब खत्म होगी कहना मुश्किल है. दहेज की हनक अभी भी खत्म नह हुई है. इसका जींवत उदाहरण बिहार के बेतिया जिले से सामने आया है जहां जिले के नरकटियागंज में नगर के दिउलिया मुहल्ले के रहने वाले शेख युनुस ने अपनी लाडली बेटी शगुफ्ता प्रवीण की शादी शिकारपुर थाना क्षेत्र के बखरी निवासी शेख नौशाद के पुत्र वसीम अख्तर से तय की थी। 20 अप्रैल को बरात आने वाली थी बारात के आगमन को लेकर पुरी तैयारी भी हो गयी थी लेकिन ऐन मौके पर लड़के वाले बरात लेकर नही पहुंचे. वजह चौकाने वाली है. जब शादी तय हुई उस समय वसीम बेराजेगार था और पढ़ाई कर रहा था लेकिन बाद में वो बीपीएससी कंप्लीट कर शिक्ष्क बन गया. इसके साथ ही उसके साथ साथ घरवालो के नखरे बढ़ने लगे. बरात नही आने का खुलासा उस वक्त हुआ जब दहेज की मांग और शादी के बदले नरकटियागंज शहर में एक कठ्ठा जमीन की मांग लड़के के घर वाले करने लगे.
मिली जानकारी के अनुसार आठ लाख नकद व तीन लाख का सामान दहजे के रूप में लड़के वाले पहले ही ले चुके है
वही बरात नही ले आने पर शेख युनुस हतप्रभ हैं. लड़को वालो की करतुत से तंग हो कर पीड़ित पिता ने थाने में आवेदन सौंपा. पीड़ित ने बताया कि शादी की सभी तैयारी पुरी कर ली गयी थी. 20 अप्रैल को बरात आने वाली थी. कार्ड भी छपवा दिया गया था। लेकिन शादी के पाच दिन पहले अगुआ एकराम और लड़के के परिजन एक कठ्ठा जमीन देने का दबाव बनाने लगे. वो मान भी गया और 10 धुर जमीन देने को तैयार हो गया. लेकिन लड़के वाले इस पर राजी नही हुए. उसने आठ लाख रूपया नकद और तीन लाख रूपये का सामान भी दे दिया. लेकिन दहेज लोभी नही माने और बरात लेकर नही आये. मामले में युनुस ने शेख वसीम अख्तर, उसके पिता नौशाद आलम, शादी तय कराने वाले अगुआं मो एकराम के विरूद्ध शिकारपुर थाने मे आवेदन दिया है. थानाध्यक्ष अवनीश कुमार ने बताया कि आवेदन मिला है मामले में जांच पड़ताल की जा रही है.
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