श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात् श्री कृष्णा स्वरूप है : राजनंदनी किशोरी

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अशोक वर्मा 
मोतिहारी : श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ धर्म काम के साथ-साथ भक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है !श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात् श्री कृष्ण स्वरूप है इसके एक-एक अक्षर में श्री कृष्णा समाये हुए हैं भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरी से मिलने का मार्ग बता देती है उक्तच प्रवचन हनुमानगढ़ स्थित मधु पदमा विवाह भवन के प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन वृंदावन से पधारी राजनंदनी किशोरी जी ने उपस्थित भक्तों को कहा ! अपार भक्तों की उमड़ी भीड़ को श्रीमद् भागवत की कथा सुनाते हुए राजनंदनी किशोरी जी ने कहा कि भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी! लेकिन मध्य में पार्वती जी को निद्रा आ गई और कथा के प्रभाव से तोता का अंडा फूट गया उसमें से सुखदेव जी का प्रकटीकरण हुआ पुरी कथा सुखदेव जी ने सुन ली और वहां अमर हो गए! राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है यह पूर्व जन्म के पाप का प्रभाव होता है की कथा बीच में छूट जाती है हमें सातों दिन निश्चित रूप से कथा स्थल में कथा सुनानी चाहिए!  कथा के माध्यम से नारद जन्म, राजा परीक्षित जन्म ,कपिल देव मुनि जन्म की कथा सुन भक्त भाव बिहवल हो गए !यज्ञ संयोजक अमित कुमार पिंटू ने बताया कि भागवत ज्ञान यज्ञ के पांच यजमान राजू जी सहारा ,अनूप कुमार ,बसंत कुमार ,नीरज कुमार, मुरारी प्रसाद ने समस्त यज्ञ पूजन सपत्नीक वृंदावन से पधारे आचार्यों के द्वारा वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ किया! कथा प्रसंग पर दिव्य मनोहर झाखी देख समस्त पंडाल में जय श्री राधे जय श्री कृष्ण का जय घोष होने लगा! प्रवचन के अंत में बड़ा ही सुंदर झांकी की प्रस्तुति की गई ।कार्यक्रम के दूसरे दिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थित रही
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