लोगों की भीड़ और नई व्यवस्था से फाइलेरिया उन्मूलन की जग रही उम्मीद

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  • नाइट ब्लड सर्वे के स्थायी सत्रों पर दिखी समझदारी 
  • मंगलवार से रैंडम साइटों पर होगी माइक्रो फाइलेरिया की जांच 
सीतामढ़ी। ठंड की सरसराहट के बीच स्वेटर पहने और चादर ओढ़े मरीज जब नाइट ब्लड सर्वे कराने आते हैं, तो जाहिर है वे इसके महत्व को भी समझ रहे हैं। शुक्रवार और शनिवार को यह दृश्य जिले के सभी प्रखंडों के नाइट ब्लड सर्वे के साइटों पर दिखा। दो दिन के इस कार्यक्रम में 5400 के लक्ष्य के विरुद्ध विभाग ने 5500 से ज्यादा सैंपल एकत्र किए। इस कार्यक्रम में जितनी भागीदारी लोगों की रही उतनी ही भागीदारी जिला के विभिन्न विभागों की भी रही उनकी सहभागिता की बदौलत जिले ने सफलतापूर्वक अपने स्थायी सत्रों पर सैंपलिंग कर कार्य पूरा कर लिया। इससे न सिर्फ फाइलेरिया के प्रसार दर का पता लगेगा बल्कि सर्वजन दवा अभियान के संचालन में भी आसानी होगी। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने बताया कि अभी तक हुए नाइट ब्लड सर्वे की खास बात रही कि जिलाधिकारी, उनकी पत्नी के साथ प्रशासनिक पदाधिकारियों का सहयोग हर स्तर पर मिला। सुरक्षा के मद्देनजर थानाध्यक्ष की मौजूदगी रही। ठंड के कारण अलाव और सिर ढकने के लिए शामियाना रहा। स्वस्थ व्यक्तियों में भी माइक्रो फाइलेरिया हो सकता है यह बात सार्वजनिक रूप से लोगों ने समझी तभी इतनी मात्रा में हमने सैंपल एकत्र किया। सैंपल में पॉजिटिव लोगों को फाइलेरिया के उपचार से भी जोड़ा जाए, ताकि उन्हें फाइलेरिया की भयावहता से बचाया जा सके।
मंगल और बुध को अस्थायी साइटों पर होगा नाइट ब्लड सर्वे:
डॉ यादव ने बताया कि मंगलवार और बुधवार को सभी प्रखंडों में बनाए गए कुल 18 अस्थायी साइटों पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। इसके लिए फिर से सभी विभागों का समन्वय किया जा रहा है। आशा, आंगनबाड़ी, जीविका व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा लोगों के बीच नाइट ब्लड सर्वे के महत्व को बताया जा रहा है।
स्वस्थ दिखने वालों में भी हो सकता है माइक्रो फाइलेरिया:
डॉ आरके यादव ने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया एक परजीवी है। यह मच्छर के संक्रमण के द्वारा लोगों में आता है। यह संक्रमण एक स्वस्थ दिखने वाले आदमी में भी हो सकता है। चूंकि फाइलेरिया के लक्षण उभरने में कम से कम पांच से दस साल लगते हैं, ऐसे में माइक्रो फाइलेरिया का वहन करने वाले स्वस्थ व्यक्ति भी दूसरों में संक्रमण फैला सकते हैं। जिसे सिर्फ नाइट ब्लड सर्वे कराकर ही पहचाना जा सकता है। लोगों से अपील है की वे सत्र स्थल पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में आकर ब्लड सैंपल दें।
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