बिहारियों के वोट को हसोटने और उनको भरमाने का नया नारा है विशेष राज्य का दर्जा की मांग- प्रशांत किशोर

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  • जब नरेंद्र मोदी के साथ सरकार चला रहे थे तब क्यों नहीं की यह मांग
    अशोक वर्मा
मोतिहारी : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बार-बार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर ने आड़े हाथों लिया है और सवाल उठाया  है कि जब वे भाजपा के साथ सरकार चला रहे थे तब यह मांग क्यों नहीं करते थे? उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार का यह बिहारियों को बुड़बक बनाने का नया तरकीब है । ज्ञात हो कि पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक में तथा इसके पूर्व में भी हाल के दिनों में सुशासन बाबू ने विशेष राज्य का दर्जा देने वाला मामला उठाया है। उनके इस मांग पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी के साथ थे तो एक बार गलती से भी उनके मुंह से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की बात नहीं निकली। तब संसद में खड़े होकर जदयू के नेता नरेंद्र मोदी को महामानव बता रहे थे। जैसे ही महागठबंधन में आए वैसे ही नीतीश कुमार की अंतरात्मा परिवर्तित हो गई और उनको विशेष राज्य का दर्जा दिखने लगा। अगर फिर से भाजपा में चले गए तो कहेंगे कि अरे भाई! छोड़िए न विशेष राज्य का दर्जा कोई मुद्दा है। किसी को कुछ समझ आता है। इस राजनीतिक नारों से बिहारियों को बेवकूफ बनाया जाता है। पूर्वी चंपारण जिला जन सुराज के मीडिया प्रभारी रवीश मिश्रा ने प्रदेश प्रवक्ता संजय ठाकुर के हवाले से जारी बयान में  दी । श्री ठाकुर ने बताया है कि जन सुराज के संस्थापक और पदयात्रा अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार सामाजिक-राजनीतिक तौर पर घिर गए हैं और वह क्या बोलते हैं, उनको खुद नहीं पता है। विधानसभा में खड़े होकर सेक्स पर उन्होंने जो वक्तव्य दिया उसके बाद वे पूरे देश में हंसी के पात्र बन गए। पूरे देश में बिहार के लोगों को शर्मशार किया। वो जो हुआ तो हुआ फिर अगले दिन जो माफी मांगी, तो उनके माफी मांगने के तरीके को देखिए तो लग रहा है कि हंस रहे हैं, रो रहे हैं या दुखी हैं या खुश हैं। बोलना कुछ चाहते हैं और बोल कुछ और जाते हैं। करना कुछ चाहते हैं और कर कुछ और जाते हैं। उनकी उम्र पचहत्तर साल से ज्यादा की हो गई है। इसीलिए लोग कह रहे हैं कि भइया! उनका दिमाग स्थिर नहीं है। जब आप अकेले हो जाते हैं, तो इस तरह की बेचैनी होने लगती है। उनकी राजनीतिक जमीन खिसक गई है, उनको ये तो समझ है। इसलिए उलूलजुलूल बोलते रहते हैं। उनके ज्यादातर बयान सुनेंगे, तो वह कहते मिलेंगे कि अरे भाई! छोड़िए ये सब कोई मुद्दा है।
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