जेंडर आधारित हिंसा समाप्त करने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

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  •  सरकार एवं सामाजिक संस्थाओं के बीच संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से हुआ कार्यशाला का आयोजन 
  • वक्ताओं ने रखे अपने विचार और सुझाव 
पटना- हिंसा के विरुद्ध 16 दिवसीय जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध सामूहिक एक्शन लेने का एक स्पष्ट आह्वान करता आ रहा है. 2023 के 16 दिवसीय एक्टिविज्म अभियान ( 25 नवंबर से 10 दिसंबर ) के तहत क्रिया एवं इब्तदा नेटवर्क जेंडर आधारित हिंसा के इर्द-गिर्द बातचीत को एक समावेशी नारीवादी चश्मे के माध्यम से देखते हुए उसका दायरा बढ़ाने की आशा करती है. इस वर्ष क्रिया एवं इब्तदा नेटवर्क इस अभियान के माध्यम से एक समावेशी नारीवाद को बढ़ाने के लिए अलग अलग संस्थाओं को साथ लाते हुए एक अंतर-संस्थागत कार्यक्रम के माध्यम से इस वैश्विक अभियान से अपना और साथी संस्थाओं का जुड़ाव बढ़ाने के लिए प्रयासरत है. इसी कड़ी में आज पटना स्थित होटल मौर्या में राज्य एवं सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन के बीच संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की अध्यक्षता राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के डॉ. प्रोफेसर कामेश्वर झा ने किया.
जेंडर आधारित हिंसा स्वास्थ्य समाज की राह में सबसे बड़ा अवरोधक:
कार्यशाला का संचालन करते हुए क्रिया की बबीता सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार जेंडर आधारित हिंसा में 2021 के मुकाबले 4% की वृद्धि दर्ज की गयी है. शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में 12%, बलात्कार के मामलों में 7.1% तथा अपहरण के मामलों में 19.2% की वृद्धि दर्ज की गयी है. यह आंकड़ा रिपोर्ट किया जाने वाले केसेस पर आधारित है जबकि जेंडर आधारित हिंसा के अनगिनत मामले रिपोर्ट नहीं किये जाते हैं. उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य है कि सरकार एवं जेंडर पर काम करने वाली संस्थाओं के बीच संवाद स्थापित कर जेंडर आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए एक मत बने और इसके लिए ठोस नीति निर्धारित हो.
नारी सशक्तिकरण का साक्षी बना हूँ- डॉ. प्रोफेसर कामेश्वर झा
इस अवसर पर मुख्य अथिति डॉ. प्रोफेसर कामेश्वर झा ने कहा कि एक सशक्त समाज की कल्पना बिना नारी सशक्तिकरण एवं समानता के भाव के बिना नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि यहाँ आकर मैं नारी सशक्तिकरण का साक्षी बना हूँ और यह मेरे लिए गर्व का विषय है. इस अवसर पर उन्होंने 7 महिलाओं एवं लड़कियों को नारी साहस का परिचय देने के लिए सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि यह लोग समाज के लिए रोल मॉडल हैं और इनसे कई लोगों को प्रेरणा मिलेगी.
महिलाओं के लिए हैं कई कानून:
इस अवसर बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण की मेंबर सेक्रेटरी शिल्पा सोनी राज ने कहा कि राज्य में जेंडर आधारित हिंसा की रोकने के लिए कई कानून बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि 15100 टोल फ्री नंबर पर महिलाएं अपने खिलाफ होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकायत दर्ज कर सकती हैं. इस अवसर पर अधिवक्ता संजू सिंह ने कहा कि बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण की शाखा राज्य के सभी जिलों में स्थापित है जहाँ पीड़ित महिलायें अपनी शिकायत दर्ज कर सकती हैं.
हिंसा के हैं कई रूप:
इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि हिंसा का कई रूप हैं. महिलाएं शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक एवं सामाजिक हिंसा का भी शिकार हो सकती हैं. हंगर प्रोजेक्ट की शाहीना परवीन के कहा कि किशोरियों में एनीमिया का बढ़ता प्रतिशत उनके खिलाफ हो रहे भेदभाव को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि लडको के मुकाबले लड़कियों की गिरती संख्या भी चिंता का विषय है. अभी राज्य में जन्म लेने वाले 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 908 है. इस अवसर पर यूनिसेफ की रश्मि झा ने कहा कि सामूहिक प्रयास से ही लैगिक हिंसा पर लगाम लगाया जा सकता है.
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