बलिया। स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर शहीद पार्क में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद, खेल शिक्षा सामाजिक और साहित्यिक संगठनों की ओर से दीप प्रज्ज्वलित किए गए। इस अवसर पर इतिहासकार डाॅ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि एक राष्ट्र की अपनी भाषा, संस्कृति, भोजन, भू-भाग होता है। यह सारी चीजें जनपद के पास हैं। इसी कारण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बलिया को एक राष्ट्र कहते थे । आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी भी को राष्ट्र कहते हैं ।डाॅ. कौशिकेय ने कहा कि बलिया जिले की स्थापना एक नवंबर 1879 को हुई थी। इसके बाद देश में एक नवंबर को ही मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पं. बंगाल एवं केंद्र शासित पांडिचेरी, चंडीगढ़ का गठन हुआ था। यह सभी प्रदेश आयु में बलिया जिले से छोटे हैं। डाॅ.कौशिकेय ने कहा कि बागी, बलिदानी बलिया, त्रयलोक की सिद्धभूमि है बलिया। ऐसे गौरवान्वित करने वाले विशेषणों से विभूषित होने वाले बलिया जनपद पौराणिक काल की अनेकों युगांतरकारी घटनाओं की साक्षी रही ; इस विमुक्तभूमि, भृगुक्षेत्र, दर्दर क्षेत्र का प्रामाणिक इतिहास मि. एचआर नेविल द्वारा संकलित गजेटियर के पृष्ठ 208 से प्रारंभ होता है। भृगु, दर्दर, गर्ग, पराशर, वशिष्ठ, विश्वामित्र, दुर्वासा, भारद्वाज आदि ऋषि-मुनियों के द्वारा तपस्या करने का उल्लेख किया हैं।डाॅ.कौशिकेय ने बताया कि नवम्बर 1879 ईस्वी को अवध के नायब वजीर आसुफदौला द्वारा ब्रिटिश सरकार को सौंप दिए गए । बनारस कमिश्नरी के गाजीपुर जिले की बलिया तहसील को गाजीपुर, आजमगढ़ और बिहार के शाहाबाद जिले की बिहिया परगना के भू-भाग को लेकर बलिया जिले की स्थापना हुई थी। उस समय इस जिले में बलिया, बांसडीह और रसड़ा तीन तहसील बनाई गई। पहले जिलाधीश के रूप में मि. टीडी राबर्टस् की तैनाती की गई थी।दीपोत्सव में पूर्व नपाध्यक्ष हरेराम चौधरी, लक्ष्मण गुप्ता, अजय कुमार, सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह, साथी रामजी गुप्ता, कमलेश वर्मा एड. , कवि साहित्यकार शशि प्रेमदेव, शिवजी पांडेय रसराज, डाॅ.फतेहचंद बेचैन,डाॅ. भोला प्रसाद आग्नेय, डाॅ. शैलेन्द्र सिंह, डॉ. राजकुमार मिश्र, डाॅ. अतुल जायसवाल, डाॅ. नवचंद्र तिवारी, जागरूक संस्थान अभय सिंह कुशवाहा , छोटेलाल प्रजापति, रामनारायण सिंह, आशुतोष सिंह, सवितानन्द यादव , ओमप्रकाश मौर्य की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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