अनंत चतुर्दशी’ हिन्दुओं का एक प्रसिद्द त्योहार है।हिन्दू धर्म में इस त्यौहार का बहुत महत्त्व है।अनंत चतुर्दशी के भक्त भगवान विष्णु के लिए व्रत रखकर पूजा करते हैं और अपनी कलाई पर अनंत सूत्र बांधते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने वाले भक्त मान्यतानुसार भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने पर भक्तों के जीवन से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। यह त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है।कहा जाता है कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदीके साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के 14 रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन 14 गांठों वाला अनंतसूत्र बांधने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। अनंत चतुर्दशी की पूजा करते हुए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बेहद शुभ होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन बहुत से भक्त घर में सत्यनारायण का पाठ भी करवाते हैं। सत्यनारायण व्रत और कथा इस दिन करने पर विशेष लाभ मिलता है। इस अवसर पर अनंत देव की कथा भी सुनी जाती है।
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