अशोक वर्मा
मोतिहारी : सड़क अतिक्रमण एवं ट्रैफिक जाम को सदर अनुमंडल पदाधिकारी ने गंभीरता से लिया और विभिन्न संगठनों के साथ बैठक कर निर्णय लिया कि सड़क के किनारे बने हुए उजले लाइन के अंदर अगर कोई भी वाहन खड़ी मिलेगी तो तत्काल मोटी रकम फाइन में वसूली जाएगी और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी ।अनुमंडल पदाधिकारी के इस निर्णय का शहर वासियों ने स्वागत किया लेकिन सरकारी आदेश कितने सफल होते हैं यह प्रश्न के घेरे में है । पूर्व में भी बार-बार अतिक्रमण हटाने के लिए चेतावनी दी गई, हुआ कुछ नहीं ।आदेश टांय टांय फिसस होकर रह गया। कई बार शहर के सडको पर विचरण करते लावारिस पशुओं को हटाने का भी आदेश हुआ लेकिन हुआ कुछ नहीं ।आज पूरे शहर में लावारिस पशु एवं सुअरों का साम्राज्य स्थापित हो चुका है ,ऐसी स्थिति में प्रशासन के नए आदेश का कितना असर होगा यह तो समय ही बताएगा । जनप्रतिनिधि इस विषय से अपने आप को दूर रखना चाहते हैं। उनका यह विचार है कि अगर अतिक्रमण पर हम कोई कार्रवाई करते हैं तो इसका सीधा असर आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा और मेरे वोट खराब हो सकते हैं।तो जो भी सीटींग एमएलए और एमपी है उनके लिए यह बहुत बड़ी बाधा है ।प्रशासन के लोग सक्रिय होकर अगर काम करें तो अतिक्रमण का समाधान संभव है लेकिन निश्चित रूप से जनप्रतिनिधियों का दवाव प्रशासन पर पड़ेगा कि फिलहाल इस को स्थगित रखें । प्रशासनिक आदेश सिर्फ अखबार का समाचार बन कर रह जाता है जिसको पढ़ कर पाठको को अच्छा लगता है लेकिन कहीं से भी कष्ट से मुक्ति नहीं मिलती । जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक मीटिंग तथा निर्णय सिर्फ अखबारी बयानबाजी तक सिमट कर रह जाती हैं।
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