- नसबंदी से ज्यादा निरोध पर है पुरुषों क़ो भरोसा
- महिला बंध्याकरण से आसान है एनएसबी
बेतिया, : परिवार नियोजन में महिला और पुरुष दोनों क़ो ही समान भूमिका निभानी आवश्यक है। परन्तु वर्तमान परिवेश में देखें तो पश्चिमी चम्पारण जिले में महिलाओ की अपेक्षा पुरुषों की भागीदारी में काफ़ी कमी देखी जा रहीं है। महिलाएं जहाँ आशा व स्वास्थ्य कर्मियों के समझाने पर डिलीवरी के बाद अस्थायी के साथ स्थाई संसाधन यानि बंधयाकरण करा रहीं है, जबकि बहुत कम संख्या में ही पुरुषों ने अपना नसबन्दी कराया है।
पुरुष परिवार नियोजन में अपनी जिम्मेदारियाँ नहीं निभा रहें है। हालांकि वे जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कंडोम का इस्तेमाल कर रहें है। 17 से 29 मार्च के बीच चले परिवार नियोजन कार्यक्रम के दौरान 03 पुरुष नसबन्दी कराने के लिए राजी हुए। इस सम्बन्ध में जिले के डीसीएम राजेश कुमार ने कहा की इसके लिए समाज क़ो जागरूक होना पड़ेगा, पुरुषों क़ो भी अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। प्रायः देखा जाता है की पुरुष अपनी जगह महिलाओ क़ो ही परिवार नियोजन करवाते है। जबकि पुरुष नसबन्दी महिला बंध्याकरण से भी आसान प्रक्रिया है।
पुरुष नसबन्दी के बारे में लोगों में है गलत धारणा:
पुरूष नसबंदी के बारे में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मानना है कि इससे उनके पौरूष शक्ति में कमजोरी आ जाएगी। वहीं कई लोग ठंड के दिनों में ही इस तरह का ऑपरेशन करवाने की बात करते है और नसबंदी कराने से ज्यादा निरोध (कंडोम) का उपयोग करते है। वहीं लोग अनजाने में नहीं चाहते हुए भी जनसंख्या वृद्धि कर देते है। जिसपर स्वास्थ्य विभाग काफ़ी गंभीर है। आशा क़ो लोगों क़ो घर घर जाकर इसपर जागरूक करने क़ो कहा गया है। वहीं सभी स्वास्थ्य केंद्र पर कॉउंसलर से परामर्श लिया जा सकता है। अस्थायी संसाधनों के लिए महिला व पुरुष बास्केट ऑफ च्वाइस की मदद ले सकते है।
