चमकी (एईएस/जेई) से बचाव के लिए संध्या चौपाल का हुआ आयोजन

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  • संबंधित अधिकारी और कर्मी घर-घर जाकर अभिभावक को एईएस के लक्षण, बचाव एवं सावधानी से अवगत कराएं- जिलाधिकारी
  • प्रचार-प्रसार हेतु जिले को एक लाख पंपलेट उपलब्ध करवाया गया
  • क्या करें-क्या नहीं करें, से बच्चों और उनके अभिभावकों को कराएं अवगत
शिवहर। बुधवार की शाम एईएस (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) से बचाव और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जन संवाद कार्यक्रम अंतर्गत संध्या चौपाल कार्यक्रम का आयोजन पुरनहीया प्रखंड अंतर्गत अभिराजपुर बैरिया पंचायत भवन पर जिला पदाधिकारी श्री विवेक रंजन मैत्रेय की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
जिला पदाधिकारी द्वारा लोगों से अपील की गई कि बच्चों को रात्रि में भोजन अवश्य कराएं और किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर अविलंब 102 एम्बुलेंस या निजी वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाए। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी और कर्मी घर-घर जाकर अभिभावक को एईएस के लक्षण, बचाव एवं सावधानी से अवगत कराएं। जिले को एक लाख पंपलेट उपलब्ध करवाया गया है। जागरूकता अभियान के दौरान इसका इस्तेमाल करते हुए लोगों को जागरूक किया जाए। उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मियों को एईएस से संबंधित कार्य को प्राथमिकता के आधार पर मिशन मोड में जवाबदेही से करने का निर्देश दिया है।
एईएस के लक्षण की चर्चा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों में बुखार, सिरदर्द, बेहोशी, चमकी का कोई लक्षण जैसे ही प्रतीत हो तो बिना देर किए हुए सदर अस्पताल या निकटतम प्राथमिक /सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उपलब्ध वाहन से पहुंचाएं। सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षण प्राप्त ट्रेंड डॉक्टर द्वारा एसओपी के तहत समुचित इलाज तत्परता के साथ किया जाएगा ताकि बच्चे सुरक्षित घर वापस लौट सकें।
उन्होंने बच्चों के प्रति सावधानी की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों को धूप में अनावश्यक ना जाने दें तथा प्रतिदिन दो बार नहलायें। इसके अतिरिक्त चमकी की तीन धमकी के तहत खिलाएं, जगाएं, अस्पताल ले जाएं का पालन करने को कहा।
निजी वाहन से बच्चों को ले जाने पर 400 रु देय है।
कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ देवदास चौधरी द्वारा आमजनों के बीच चमकी बुखार के लक्षणों (तेजबुखार, चमकी एवं बेहोशी) के बारे में विस्तार से बताया गया। सिविल सर्जन ने बताया कि तैयारी पूरी है सभी स्वास्थ्य केंद्रों को आवश्यक दवा व उपकरण तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं। 24 ×7 रोस्टर लागू है। सादर अस्पताल में 6 बेड सहित सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 2 बेड आरक्षित किया गया है। एम्बुलेंस सभी सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध हैं।
डीएमओ डॉ सुरेश राम एवं डॉ अरुण कुमार सिंहा द्वारा बचाव के बारे में एवं मोहन कुमार डीभीबीडीसी द्वारा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए आवश्यक तैयारियों (उपचारात्मक तथा निरोधात्मक) के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। साथ ही बच्चों को तेज धूप से बचाने के लिए कहा गया। महादलित टोलों में विशेष रूप से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिले के सात चिन्हित सुअर बाड़ों का प्रतिदिन अनुश्रवण किया जा रहा है।
मौके पर मुखिया प्रतिनिधि श्री धर्मेंद्र कुमार सिंह, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मनीष कुमार, प्रबंधक ठाकुर विवेक सिंह, श्री अमरेंद्र कुमार सिंह, सौरभ कुमार, विजय,आशा कार्यकर्ता गण और ग्रामीणों की सक्रिय सहभागिता रही।
मस्तिष्क ज्वर के लक्षणः-
● सरदर्द, तेज बुखार आना जो 5-7 दिनों से ज्यादा का ना हो
● अर्द्ध चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना/भ्रम की स्थिति में होना/बच्चे का बेहोश हो जाना।
● शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
● पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मारना या हाथ पैर का अकड़ जाना।
● बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना।
● उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखने पर अविलंब अपने गांव की आशा/एएनएम दीदी से संपर्क कर अपने सबसे निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर चिकित्सीय परामर्श लें। इसके उपरांत ही सदर अस्पताल/मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों को ईलाज हेतु ले जायें।
सामान्य उपचार एवं सावधानियांः-
● अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं। घर से बाहर जाने पर सर पर टोपी या गीला गमछा रखें।
● अपने बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।
रात में बच्चों को भरपेट खाना खिलाकर ही सुलाएं।
● गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नमक-चीनी एवं नींबू पानी से शरबत बनाकर पिलायें।
● रात में सोते समय घर की खिड़कियां एवं रौशनदान को खोल दें, ताकि हवा का आवागमन होता रहे।
ध्यान देने वाली बातेंः-
क्या करेंः-
● तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार 100 डिग्री से कम हो सके।
● पारासिटामोल की गोली/सीरप मरीज को चिकित्सीय सलाह पर दें।
● यदि बच्चा बेहोश नहीं है तब साफ एवं पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलायें।
बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चे को छायादार एवं हवादार स्थान पर लिटाएं।
● चमकी आने पर, मरीज को बाएं या दाएं करवट में लिटाकर ले जाएं।
● बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें।
अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा हो तो साफ कपड़े से पोछें, जिससे कि सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।
● तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की अंखों को पट्टी या कपड़े से ढंकें।
क्या ना करेंः-
● बच्चे को कम्बल या गर्म कपड़ों में न लपेंटे।
● बच्चे की नाक बंद नहीं करें।
● बेहोशी/मिर्गी की अवस्था में बच्चे के मुंह से कुछ भी न दें।
● बच्चे का गर्दन झुका हुआ नहीं रखें।
● चूंकि यह दैविक प्रकोप नहीं है बल्कि अत्यधिक गर्मी एवं नमी के कारण होने वाली बीमारी है अतः बच्चे के ईलाज में ओझा गुणी में समय नष्ट न करें।
● मरीज के बिस्तर पर ना बैठें तथा मरीज को बिना वजह तंग न करें।
● ध्यान रहे कि मरीज के पास शोर न हो और शांत वातावरण बनायें रखें।
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● खिलायें-बच्चे को रात में सोने से पहले भरपेट खाना जरूर खिलाएं। यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलायें।
● जगायें-रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं।
● अस्पताल ले जायें-बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा को सूचित कर तुरंत निःशुल्क 102 एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जायें।
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