अशोक वर्मा
मोतिहारी । प्रयागराज में 12 बर्ष के बाद लगे महा कुंभ स्नान मेला में देश विदेश के संत महात्माओं का कैंप लगा है ।कई अखाडो का विशाल कैप लगा हुआ है। बताया जाता है कि दुनिया को प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल पर विशेष शक्ति की आवश्यकता होती है ।जंगल पहाड़ के कंदराओं मे अपने साधना और तप के बदौलत शक्ति संचय कर महाकुभ मे साधु संत महात्मा,तपस्वी नागा साधु पहुंचते है और स्नान कर अपनी शक्ति को संगम मे प्रवाहित कर शक्ति का आदान प्रदान करते है ,फिर संगम मे लाखो करोडो श्रद्धालु स्नान कर पवित्र बनते है,ऐसी आस्था और मान्यता है।इस वर्ष के कुभ मे करोडो भक्तो का आगमन हो चुका है और अभी काफी संख्या मे लोग आ रहे है और स्नान कर रहे है।अपने-अपने शिविरों में रहकर साधु, संत, महात्मा एवं तपस्वीगण दुनिया को व्यवस्थित ढंग से चलने के लिए शक्ति का वाइब्रेशन दे रहे हैं । भक्तजन भी बड़े श्रद्धा और आस्था से स्नान पूजा के साथ साथ गुरु, संत महात्माओं की भी पूजा अर्चना कर रहे हैं। देश-विदेश में संचालित तमाम बड़े छोटे मठ मंदिर के महंत अपने -अपने कैप शिविर वहां लगाये हैं और उनके क्षेत्र के लोग उसमें ठहरकर स्नान आदि कर संगम और कुंभ मेले का आनंद लेते हुये अपने आप को आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर कर रहे हैं। बहुत बड़े क्षेत्रफल में लगे कुंभ मेला में बिहार के सबसे प्राचीन अरेराज सोमेश्वर नाथ मंदिर द्वारा भी वहां शिविर का आयोजन किया गया है जिसमें संपूर्ण चंपारण क्षेत्र से पहुंचने वाले लोग ठहर रहे हैं।इस बार के कुंभ मेले मे चंपारण से काफी लोग पहुंच रहे है और कुंभ मेले का आनंद ले रहे हैं। सभी भक्ति भाव से पूजा अर्चना आदि सब कर रहे हैं। उक्त शिविर में मोतिहारी चंचल बाबा आश्रम के संस्थापक स्वामी शक्ति शरणानंद जी महाराज उर्फ चंचल बाबा स्वयं अपने शिष्यों के साथ पधारे हैं और कुंभ के इस महान अवसर पर वहां विशेष अनुष्ठान पूजा एवं जलाभिषेक कर रहे हैं। सोमनाथ मंदिर के महंत राविशंकर गिरी वहां पधारने वाले सभी भक्तजनों के सुख सुविधा का विशेष ख्याल किए हुए हैं तथा उनके ठहरने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है ।चंचल बाबा हवन यज्ञ आदि के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित भी कर रहे हैं तथा कुंभ के महत्व पर भी प्रकाश डाल रहे हैं। अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि इस बार का कुंभ काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि धरती पर प्रकृति का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है ऐसी स्थिति में साधु संत महात्माओं का यहां सामूहिक रूप से इकट्ठा होना और पूरी दुनिया को व्यवस्थित ढंग से चलने का जो अपने योग तप के द्वारा प्रयास किया जा रहा है निश्चित रूप से दुनिया को इसका लाभ मिलेगा तथा दुनिया में जो दुख अशांति कलह क्लेश के साथ युद्ध का जो माहौल बना हुआ है सभी को इससे फायदा और लाभ होगा, शाति स्थापित होगी ,लोग खुशहाल होगे।
