Live News 24×7 के लिए कैलाश गुप्ता की रिपोर्ट।
मोतिहारी। जिला शिक्षा पदाधिकारी की लापरवाही कहें या उनके अधीनस्थ अधिकारी/कर्मचारी की.…लापरवाही व मनमानी का ही नतीजा है कि पूर्वी चम्पारण के लोक सूचना पदाधिकारी सह जिला शिक्षा पदाधिकारी को राज्य सूचना आयोग बिहार ने वाद संख्या A 5884/21 में अपने आदेश संख्या 2096 दिनांक 2 जनवरी 2025 से मो. 22,500 रुपये का आर्थिक दण्ड लगया है।
उक्त के संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि यह मामला तीन वर्ष पुराना है, इसमें लिपिक कि लापरवाही के कारण आवेदक को ससमय सूचना नहीं देकर तीन माह बाद दिया गया था, जिसके कारण राज्य सूचना आयोग ने 250 रूपये कि दर से 22,500/00 रूपये का अर्थ दंड अधिरोपित किया है।
वही जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री संजीव ने कहा है कि आयोग द्वारा जो अर्थ दंड लगाया गया है वह संबंधित किरानी के वेतन से वसूल किया जाएगा। सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई सूचना ससमय आवेदक को देना सम्बंधित लिपिक कि जिम्मेदारी है, यदि इसके संबंध में कोई लापरवाही होती है और किसी प्रकार की कार्रवाई होती है तो वह लिपिक के विरुद्ध ही की जाएगी।
वही सूत्रों की माने तो जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में अन्य संचिकाओं की बात कौन कहे, सूचना का अधिकार अधिनियम का भी ससमय अनुपालन में कार्यालयकर्मी अपने आदतों से बाज नही आ रहे है। आरटीआई का कानून सरकार के कार्यों में पारदर्शिता को दर्शाने के लिए बनाया गया है परंतु लापरवाही, भ्रष्टाचारी व मनमानी करने वाले अधिकारी/कर्मचारी इसमें भी आवेदकों से कुछ उम्मीद करने व धमकाने में पीछे नही रह रहे है।
बताया जाता है कि विभाग के लगभग सभी कार्यालयों में जहां सैकड़ों आवेदन लंबित है वही प्रथम अपील में भी जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा दिए गए आदेश को लोक सूचना पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी भी नहीं मानते है। यहां तक कि संबंधित प्रभारी लिपिक के द्वारा आवेदक को धमकी भी दी जा जाती है, कहा जाता है क़ि आपके द्वारा मांगी गई सूचना ट्रेक्टर-टेलर से ले जाना होगा, लाखों रूपये भी देना पड़ेगा। ऐसे-ऐसे बात बताकर आवेदक के मन में दहशत पैदा किया जाता है…….. बहराल यह देखना है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी पर लगाए गए अर्थ दंड किस लिपिक के वेतन से कटता है।
