बीपी कोइराला इंडिया नेपाल फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित लुंबिनी से बोध गया मिथिला पेंटिंग कार्यशाला का उद्घाटन

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गया।आसरा सेवा केंद्र द्वारा बीपी कोइराला इंडिया नेपाल फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित लुंबिनी से बोध गया मिथिला पेंटिंग कार्यशाला का उद्घाटन महाबोधि मंदिर प्रबंधकरणी समिति के सचिव डॉ महाश्वेता महारथी, नेपाल दूतावास के प्रथम सचिव विजय राज तेंदूकर और बिहार संग्रहालय पटना के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने द्वीप प्रज्वलित कर किया गया है। छः दिवसीय कार्यशाला में मिथिला पेंटिंग के माध्यम से भगवान बुद्ध के जन्म स्थल लुंबनी से लेकर ज्ञान प्राप्ति स्थल बोधगया तक के विभिन्न पड़ावों का चित्रण मिथिला पेंटिंग के माध्यम से की जाएगी। किलकारी गया के बाल भवन में 20 से 25 अक्टूबर तक आयोजित कार्यशाला में मधुबनी पेंटिंग के 10 ख्याति प्राप्त कलाकार भाग ले रहे हैं, जिसमें दो पद्मश्री, दो राष्ट्रीय और छह राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित कलाकार शामिल है। इस समारोह के मुख्य अतिथि और महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति बोधगया के सचिव डा महाश्वेता महारथी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि दुनिया के महान एवं प्रमुख धर्म में बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। यह सर्वविदित है कि महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबनी में और ज्ञान की प्राप्ति बिहार प्रदेश के बोधगया में हुई थी। इसलिए बौद्ध धर्म धर्मावलंबियों के बीच यह दोनों स्थल बहुत ही पूज्य है। आसरा सेवा केंद्र और नेपाल दूतावास के बीपी कोइराला इंडिया – नेपाल फाउंडेशन के सहयोग से किलकारी बिहार बाल भवन में यह जो कार्यशाला आयोजित किया गया है यह बहुत ही सराहनीय कदम है। इस तरह के आयोजन से न सिर्फ बौद्ध धर्म का विकास होगा बल्कि किलकारी के बच्चे भी ऐसे महान पेंटिंग के कलाकारों से सीखने का मौका मिलेगा। नेपाल दूतावास के प्रथम सचिव विजय राज तंदूकर ने कहा कि गया ऐतिहासिक धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है। यह पूरे विश्व में भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि और विष्णु की मोक्ष नगरी के रूप में विख्यात है, ऐसे शहर में भगवान बुद्ध से संबंधित से बोधगया तक के सफर को पेंटिंग के माध्यम से चित्रण करना अपने आप में महत्वपूर्ण कार्य है इन्होंने कहा कि मैं इस कार्य को बीपी कोइराला इंडिया नेपाल फाउंडेशन के सहयोग से और आगे बढ़ने का कार्य करूंगा ताकि भगवान बुद्ध की पूरी जीवनी को मिथिला पेंटिंग के माध्यम से रखा  जा सके। इस उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने इस छः  दिवसीय कार्यशाला में भाग ले रहे सभी कलाकारों को विस्तार से परिचय कराया उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में दो पदम श्री दो राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और 6 राज्य पुरस्कार विजेता कलाकार भाग ले रहे हैं यह कार्यशाला अपने आप में अनूठा है इस कार्यशाला  के माध्यम से न सिर्फ किलकारी के बच्चे बल्कि गया के भी  कला प्रेमियों के लिए  काफी लाभप्रद साबित होगा।अशोक कुमार सिन्हा ने कार्यशाला में भाग ले रहे कलाकारों का विस्तृत परिचय कराया उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग अब राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कला है| इसके माध्यम से भगवान बुद्ध के जन्मस्थली लुंबिनी से ज्ञानस्थली बोधगया तक के विभिन्न पड़ावों की  पेंटिंग तैयार की जाएगी। मंच का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और अंग वस्त्र प्रदान कर किलकारी मगध प्रमंडल के कार्यक्रम समन्वयक  राजीव रंजन श्रीवास्तव ने किया है। इस मौके पर मंचासीन अतिथियों में आसरा सेवा केंद्र के सचिव कैलाश प्रसाद सिंह, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी शिक्षा विभाग गया के दुर्गा यादव शामिल रहे हैं । छः दिवसीय पेंटिंग कार्यशाला में भाग लेने वाले कलाकारों में पद्म श्री  शांति देवी, पदम श्री दुलारी देवी, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित विभा लाल, अवधेश कुमार कर्ण, राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित अंबिका देवी, हेमा देवी, श्रवण पासवान, भगवान ठाकुर, नलिनी शाह, राकेश पासवान उपस्थित रहे हैं ।
 इस अवसर पर किलकारी के बच्चों ने जितेंद्र चौरसिया के मार्गदर्शन में उदय शंकर शैली में ओम नमः शिवाय नृत्य और सामा चकेवा नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी। इस मौके पर कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे हैं।
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