विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में संविधान निर्माता बाबा साहब की 133 वीं जयंती के अवसर पर “डॉ. अंबेडकर और समावेश की राजनीति” विषय आयोजित हुआ सेमिनार।

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राजेश मिश्रा की रिपोर्ट

  • सेमिनार के अवसर पर “डेमोक्रेटिक आइडिया ऑफ डॉ. बी. आर. अंबेडकर” नामक किताब का विमोचन भी किया गया।
लनामिवि दरभंगा:- आज दिनांक 14 अप्रैल 2024 को संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133 वीं जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में  “डॉ. अंबेडकर और समावेश की राजनीति” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन माननीय कुलपति महोदय प्रो. संजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
    बतौर मुख्य अतिथि माननीय कुलपति महोदय प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि क्या आरक्षण की वर्तमान स्थिति पर चिंतन करने की जरूरत है। अंबेडकर ने कभी नहीं यह बात जाहिर की की आरक्षण को सतत रूप से बनाए रखा जाए उनका यह प्रयास रहा कि आरक्षण का लाभ जब एक पीढ़ी हासिल करें तो वह समाज के अंतिम व्यक्ति को आगे बढ़ने का प्रयास करें ना कि आरक्षण को ही आगे बढ़ाया जाता रहे।
    बतौर मुख्य वक्ता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणासी के राजनीति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त  विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश राय ने अपने संबोधन में गांधी और अंबेडकर के बीच मतभेदों को सामंजस्यपूर्ण ढंग से समझाया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का संविधान भारत को एकता का सूत्र देता है। प्रो. राय ने अपने संबोधन में गांधी और अंबेडकर के बीच मतभेदों को सामंजस्यपूर्ण ढ़ंग से समझाया प्रो. राय ने आगे प्रमुखता से रेखांकित किया कि अंबेडकर मनुष्य की स्वतंत्रता में विश्वास रखते थे। वे लोकतंत्र वादी चेतना के समर्थक थे। भारतीय संविधान को राज्य के लिए एक तत्व बनाने में उनका योगदान अतुल नहीं है। विशेष रूप से धर्मनिरपेक्षता का मूल्य प्रस्तावना में शब्द रूप में शामिल रहे या ना रहे इसकी पूरी गारंटी मौलिक अधिकारों के जरिए व्यक्ति को प्राप्त राज्य का अपना धर्म नहीं होना चाहिए।
         इसी क्रम में कुलसचिव डॉ. अजय नाथ पंडित ने यह कहा कि अंबेडकर का पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों से संघर्ष में बीता है। वह राज्य को सभी को समान रूप का अवसर प्रदान करने का यंत्र मानते थे। डॉ. आंबेडकर सदा इसके लिए प्रयासरत रहे. डॉ. अंबेडकर नायक रूप में सदा हमारे बीच उपस्थित है।
       सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रभाष चंद्र मिश्रा ने अपने समय उद्बोधन में सटीकता से इस बात को रेखांकित किया कि छात्रों को अंबेडकर की अध्ययन पद्धति को अपनाना चाहिए जिसमें वह गहन अध्ययन करें, चिंतन करें, मनन करें, तत्पश्चात आगे बढ़े। अंबेडकर की जीवनी को गहन अध्ययन के लिए प्रेरित किया और उनके विचारों की महत्ता पर चर्चा की।
     सहायक प्राध्यापक सह विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि अंबेडकर का जीवनसाथी संपूर्ण संघर्ष महत्वपूर्ण बातें सीखने समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता ज्ञान की आकांक्षा सर की यह पंक्ति उत्साह पूर्ण रही कि अपनी कोशिश को तब तक जारी रखो जब तक आपके विचार इतिहास में दर्ज न हो जाए। आगे उन्होंने विस्तार से इस पर समझाया।
      डॉ. डीएम दिवाकर ने महत्वपूर्ण रूप से रेखांकित किया कि अंबेडकर के विचारों में चेतावनी नजर आती है कि आजाद होना ही काफी नहीं है आजादी जा भी सकती है। वह बौद्ध धर्म संघ के लोकतांत्रिक प्रकृति के महत्वपूर्ण विशेषताओं को उन्होंने बखूबी प्रस्तुत किया और यदि कहा कि कोई भी बदलाव का मार्ग संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक होना चाहिए यह हमें अंबेडकर के विचारों से सीखने को मिलता है। महत्वपूर्ण रूप से उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से इस बात को रेखांकित किया कि समाज में वर्तमान असमानता एवं कुपोषण की क्या स्थिति है। इन आंखों का परीक्षण भी किया जाना चाहिए क्योंकि अपने वर्तमान में सत्ता के अनुकूल बनाए जा रहे हैं ना की जनता के अनुकूल बनाए जा रहे हैं। भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वस्थ लोकतंत्र में समाविष्ट को बढ़ाने में यह महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
       विभाग में अंबेडकर चेयर और जननायक कर पूरी चेयर की स्थापना के लिए विभाग अध्यक्ष महोदय ने कुलपति महोदय को धन्यवाद ज्ञापन किया और भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिए कुलपति महोदय ने दिशा निर्देश भी जारी किये।
     सेमिनार के अवसर पर “डेमोक्रेटिक आइडिया ऑफ डॉ. बी. आर. अंबेडकर” नामक किताब का विमोचन भी किया गया। यह किताब सविधान निर्माता के विचारों को समर्पित है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं ने डॉ. अंबेदकर के विचारों और उनके योगदान पर विचार व्यक्त किए। प्रमुख वक्ताओं ने अंबेदकर के दृढ़ समाजिक और आर्थिक समावेश के लिए किए गए प्रयासों की महत्ता पर भाषण दिया। सेमिनार के समापन में, अंबेडकर के विचारों की महत्ता को गुणजनक रूप से उजागर किया गया और आरक्षण पर समीक्षा की आवश्यकता को भी जाहिर किया गया।
     कार्यक्रम के दौरान, कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी को प्रो. मुनेश्वर यादव द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख मेहमानों के रूप में प्रो. सतीश राय, प्रो. अजय कुमार पंडित, डॉ. डी.एम दिवाकर, प्रो. मुकुल बिहार वर्मा और प्रो. पी. सी. मिश्रा उपस्थित थे। एक प्रमुख वक्ता गोवा से डॉ. विजय कुमार तकनीकी माध्यमों से सेमिनार में उपस्थित हुए। आगे कई गणमान्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार साझा किये। इस दौरान विभाग के शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन, नीतू कुमारी, गंगेश कुमार झा, सी. एम. कॉलेज के आलोक तिवारी आदि भी उपस्थित थे। सभी आगत-अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने किया। मंच संचालन विभाग के डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. घनश्याम रॉय द्वारा दिया गया।
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