लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच बिहार के पू्र्व सीएम और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मध्य प्रदेश में ग्वालियर की एमपी एमएलए कोर्ट ने करीब तीन दशक पुराने आर्म्स एक्ट के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. यह मामला साल 1995 और 1997 में आर्म्स फार्म 16 के तहत हथियारों की सप्लाई से जुड़ा हुआ है. इसी फॉर्म के आधार पर हथियारों के लिए आवेदन करने वाले लोगों को सरकार की ओर से आर्म्स दिया जाता है.
पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए लालू प्रसाद यादव के नाम की तस्दीक की. अब पुलिस ने रिसर्च करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया है. इस मामले में लालू प्रसाद यादव समेत कुल 23 आरोपी नामजद हैं. इसमें से कई के खिलाफ ट्रायल की शुरुआत भी हो गई है जबकि दो आरोपियों की मौत भी हो गई है. जानकारी के अनुसार यह फर्जीवाड़ा अगस्त 1995 से लेकर मई 1997 तक किया गया. इस अवधि के बीच तीन फर्म से कारतूस की खरीद की गई थी.
इस मामले में कोर्ट ने लालू यादव के लिए कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी किया था, लेकिन वो पेश नहीं हुए. इसके बाद कोर्ट ने बिहार के पूर्व सीएम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. पुलिस इस मामले की जांच करते हुए जुलाई 1998 में आरोप पत्र दाखिल किया था. 1998 में यह मामला ग्वालियर एमपी-एमएलए कोर्ट में आ गया. पिछले कुछ सालों में यह मामला ठंड पड़ गया था, लेकिन अब कोर्ट ने पूर्व सीएम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए आरजेडी सुप्रीमो के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है.
बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव पहली बार चारा घोटाला मामले को लेकर चर्चा में आए थे. कोर्ट ने इस मामले में आरजेडी सुप्रीम को 3 अक्टूबर 2013 में पहली बार सजा सुनाई थी. इस मामले में लालू यादव को पांच साल की कैद और 25 लाख रुपए के जुर्माने की सजा हुई. सजा के बाद लालू यावद दो महीने के लिए रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद रहे. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो बाहर आ गए.
इसके बाद देवघर ट्रेजरी मामले में फंसे लालू यादव को कोर्ट ने साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई. 23 जनवरी, 2018 में चाईबासा ट्रेजरी से 33.67 करोड़ की अवैध निकासी के मामले उन्हें तीसरी बार पांच साल की सजा हुई. इसके बाद दुमका ट्रेजरी से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के इस मामले में 15 मार्च 2018 को कोर्ट ने चौथी बार सात साल की सजा सुनाई. डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में उन्हें 21 फरवरी 2022 को पांचवी सजा सुनाई गई. इसमें कोर्ट ने लालू यादव को पांच साल की जेल और 60 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई.
75