विकसित भारत 2047 और रामराज की परिकल्पना विषयक संगोष्ठी

2 Min Read
अशोक वर्मा
मोतिहारी :  मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्मार्ट क्लास रूम में स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के तत्वावधान में  एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ।संगोष्ठी का विषय था,”विकसित भारत 2047 और रामराज्य की परिकल्पना।”इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से पधारे सामाजिक सांस्कृतिक चिंतक श्री अंबरीष जी ने उपस्थित अध्यापकों एवम छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि राम का चरित्र किसी का गढ़ा हुआ नहीं,वह स्वनिर्मित वास्तविकता है।राम जैसा आदर्श अन्यत्र दुर्लभ है।राम वास्तविकता हैं,कवि की कपोल कल्पना नहीं।राम शाश्वत हैं,हमारी श्रद्धा के केंद्र हैं।वे समता और ममता के उदगाता हैं।वे निषादराज को गले लगाते हैं,शबरी के जूठे बेर खाते हैं।वे उत्तर और दक्षिण को जोड़नेवाले महापुरुष हैं।उन्होंने अपने वनवास का उपयोग इस देश को जानने समझने के लिए किया।रामराज्य भी कोई परिकल्पना नहीं,वास्तविकता है।इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रबंधन शास्त्र विभाग,महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो.पवनेश कुमार ने भी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि राम एक आदर्श पुत्र,आदर्श पति,आदर्श सखा, आदर्श भाई ,आदर्श राजा और आदर्श राजा के रूप में नजर आते हैं।आई.आई.टी.पटना के प्रोफेसर नलिन भारती ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया।उन्होंने विकसित भारत की संभावनाओं पर तफसील से अपना पक्ष रखा।स्वागत व्याख्यान देते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.मृगेंद्र कुमार ने रामराज्य और विकसित भारत पर संतुलित व्याख्यान देते हुए कहा कि रामराज्य में लोगों के बीच अंधी प्रतिस्पर्धा नहीं थी, बादल समय पर वृष्टि करते थे और समरसता का वातावरण था।संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार ने कहा की राम जितने लौकिक हैं,उतने ही अलौकिक भी हैं।रामचरित को समझ लेने से हम समस्त भारतीय आत्मा को समझ सकते हैं और तभी रामराज्य की स्थापना संभव हो सकेगी।
      प्रारंभ में अतिथियों का सम्मान पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्रम और स्मृति चिन्ह देकर किया गया।समस्त कार्यक्रम का सुंदर संचालन और धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के डॉ.गौरव भारती ने किया।
30
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *