क्लीन गया ग्रीन गया  वर्षाकाल में पौधारोपण की योजना बनाकर कार्य करने हेतु सभी पदाधिकारियों को निर्देशित

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गया ।मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में बिहार के सभी जिलों के वन प्रमंडल पदाधिकारी सहित वन विभाग के पदाधिकारी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन  एवं आगामी वर्षाकाल में वृक्षारोपण विषय पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया है।
इस बैठक को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि 15 अक्टूबर, 2000 में राज्य का बंटवारा होने के बाद बिहार में मात्र 7% वन भूमि बची है। वनाच्छादन के राष्ट्रीय लक्ष्य 33% है जबकि मैदानी राज्य जैसे-बिहार के यह 20% है। कृषि रोड मैप के अनुसार काम करना शुरू किया एवं बिहार के हरित आवरण को बढ़ाकर लगभग 15% पहुंचा दिया गया है। यह कार्य सिर्फ वन भूमि पर पौधारोपण से सम्भव नहीं था। यह लक्ष्य सिर्फ वन विभाग के प्रयास से भी संभव नहीं था। हमने वन भूमि से बाहर सडक, नहर नदी के किनारे पौधारोपण का प्रयास किया है। हमने किसानों के द्वारा खेत में किनारे किनारे पौधारोपण के लिए योजना चलाई है। किसानो को पौधा आस-पास मिल जाय इसके लिए किसान और जीविका दीदी की पौधशाला का सृजन किया। पॉपलर प्रजाति को बिहार में पहचान किया गया है।जो 5-6 वर्ष में तैयार हो जाता है।जल जीवन हरियाली अभियान 02 अक्टुबर 2019 को शुरू किया गया है और उसका जोर हरियाली के साथ जल संचयन और संरक्षण पर भी है। वन विभाग के द्वारा वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण के लिए चेकडैम, जल संचयन टैंक, तालाब आदि बनाये जा रहे हैं।  मुख्यमंत्री, बिहार की सोच के अनुरूप गारलैंड ट्रेंच के आधार पर काम किया जा रहा है। यह तकनीक जल संरक्षण का सर्वोत्तम उपाय है और पहाड़ी तथा सुखे क्षेत्रों में बेहद प्रभावी है।अगर हर व्यक्ति थोड़ा-थोडा जल को बचाना शुरू कर दे तो हम कल्पना नहीं कर सकते कि कितना अच्छा परिणाम होगा। ऐसे बिजली के बर्बादी रोकना, पॉलीथीन का उपयोग नहीं करना, साफ-सफाई रखना वैसे तो छोटी बात लगती है लेकिन इसका प्रभाव मिलकर बहुत ही बड़ा होगा। यह संदेश हमे घर-घर तक पहुंचना है। स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम की बहुत ही जरूरत है।जिससे ये बच्चों की आदत में शामिल हो जाये। मानसून आने वाला है। ये सही समय है जब हम जागृत हो और पौधारोपण के लिए कमर कस लें। मैं तो कहता हूँ कि पौधा लगाना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है पौधा बचाना है। पौधा लगाने के बाद कम-से-कम 03 साल तक उसको खाद पानी और सुरक्षा देनी है तभी पौधा पेड़ बनेगा।हम चाहते हैं कि राज्य का हर परिसर हरा परिसर हो। हमने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सभी परिसरों की सूची बनाई जाये। इसमे हम सभी का सहयोग चाहेंगें। यहीं जितने भी लोग जुड़े हैं उन सब से आग्रह है कि उनकी जानकारी में जो भी परिसर है उनकी सूची वन प्रमण्डल पदाधिकारी को उपलब्ध करवायें। हम सभी परिसर को हरा परिसर बनायेंगें।
हमने बिहार में नर्सरी की क्षमता को बढ़ा कर 05 करोड़ प्रति वर्ष किया है। इस साल वन विभाग का लक्ष्य 2.00 करोड़ पौधे लगाने का था। मुझे बहुत खुशी हो रही है ये बताते हुए कि विभाग में वो लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। ग्रामीण विकास विभाग और हॉर्टिकल्चर विभाग को मिला दे तो इस साल लगभग 4.00 करोड़ पौधा लगाये गए है। अगर हम 10 करोड़ पौधा लगवाये और 60% पौधे बचा लें तो 6.00 करोड़ पेड बनेगा। इससे हरित आवरण 1% बढ़ेगा। इससे ही अंदाज लगा लें कि हरित आवरण बढ़ाना कितना कठिन कार्य है।जलवायु परिवर्तन एक ऐसा विषय है जिसकी चर्चा शहर में, गांव में, हर वर्ग में, हर देश में समान रूप से है। इसका समाधान है कि हम कम-से-कम कार्बन का उत्खर्जन करें। कार्बन एब्जॉर्ब करने का सबसे सरल तरीका है कि अधिक से अधिक पेड़ लगावें। पौधारोपण जब तक जन अभियान या जन आंदोलन नहीं बनता है तब तक इस समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। मंत्री ने बताया कि गया शहर स्थित कंडी नवादा में बायोडायवर्सिटी पार्क, ब्रह्मयोनि एवं प्रेतशिला में चेकडैम का निर्माण, बाराचट्टी में जू सफारी का निर्माण, क्लीन गया ग्रीन गया  के तहत आगामी वर्षाकाल में पौधारोपण की योजना बनाकर कार्य करने हेतु सभी पदाधिकारियों को निदेशित किया गया है। इस बैठक में उप विकास आयुक्त, गया  विनोद दूहन ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा गया जिला को पौधारोपण के लिए 6 लाख 40 हजार लक्ष्य दिया गया, जिसके आलोक में मनरेगा से लगभग 9 लाख 52 हजार पौधारोपण किया गया, जो निर्धारित लक्ष्य का 149 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में गया जिला द्वारा 33 लाख 12 हजार 63 पौधे लगाए गए हैं। इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जिले में 2 लाख 16 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है, जो नदी के किनारे लगाया जाएगा। इस बैठक में जिला स्तर पर वन प्रमंडल पदाधिकारी, नगर आयुक्त, उप विकास आयुक्त, वन संरक्षण पदाधिकारी, जिला जन संपर्क पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
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