मामला बिहार का है जहां बिहार के बेतिया में एक ऐसा गांव है, जहां मौत के खौफ का अफवाह ऐसा है कि यहां दो बार उपचुनाव हो गए लेकिन गांव के कोई भी व्यक्ति ने वार्ड सदस्य और पंच के पद पर नामांकन नहीं किया। ग्रामीणों में यह अफवाह है कि यहां से जो भी वार्ड सदस्य बना है। उसकी दुर्घटना में मौत हो जाती है।
इसी वजह से 2021 और 2023 में दो बार उपचुनाव में वार्ड सदस्य और पंच का किसी ने नामांकन नहीं भरा।
आपको बता दे कि पूरा मामला बेतिया के योगापट्टी प्रखंड के सिसवा बैरागी पंचायत के वार्ड नंबर तीन का है। जहां 2016 के बाद से वार्ड सदस्य और पंच नहीं है। यह स्थान रिक्त है।
ग्रामीणों ने बताया कि जो भी व्यक्ति यहां वार्ड सदस्य बना उसकी मौत हो गई है। किसी ने यहां पांच साल का टर्म पूरा नहीं किया है। लगभग आधा दर्जन वार्ड सदस्य जो चुनाव जीते उनकी मौत हो गई या उनकी पत्नी कि मौत हो गई है। 2016 के बाद एक के बाद एक वार्ड सदस्य बनते गए और काल के गाल में समाते गए पहली मौत रामचंद्र ठाकुर कि पत्नी कि हुई जो वार्ड सदस्य थी।
फिर बिकाऊ शाह कि पत्नी कि मौत दुर्घटना में हो गई। फिर तीसरे वार्ड सदस्य कमल शाह कि पत्नी बनी उनकी मौत करोना में हो गई। अब इस गांव में अफवाह कि ऐसी हवा चली है कि 2021 में भी यहां किसी ने वार्ड सदस्य का पर्चा नहीं भरा फिर 2023 में भी उपचुनाव हुए है। उसमे भी किसी उम्मीदवार ने पर्चा नहीं भरा है बता दे कि यह सीट 2016 से आरक्षित है।
ग्रामीण हिरामन यादव और प्रेम यादव ने बताया कि जो भी वार्ड सदस्य बन रहा है उसकी मौत हो जा रही है या उसकी पत्नी कि मौत हो जा रही है। यह ऐसा अफवाह फैला है कि मौत के खौफ से कोई वार्ड सदस्य का चुनाव नहीं लड़ रहा है।
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