अशोक वर्मा
मोतिहारी : 3 और 4 दिसम्बर को दिल्ली के सिविल लाइंस स्थित शाह ऑडिटोरियम में होगा विहार महोत्सव, जुटेंगे हज़ारों बिहारी, कुछ दिखाने तो कुछ अपनों को देखने – सुनने । इनमें होंगी अपने गाँव – गिरांव से दूर आकर राष्ट्रीय राजधानी में अपनी कामयाबी का परचम लहराने वाली शख्सियतें तो अपने कंठ में सरस्वती और बाजुओं में विश्वकर्मा लेकर दिल्ली को गढ़ने वाले सीधे-सादे निश्छल श्रमजीवी।
हर बिहारी खास है। उसके पास लोक – संस्कृति की समृद्ध विरासत है । जो उसकी पहचान है।
कम में गुजारा करना और अपना सब कुछ देश पर न्योछावर कर देना इसका इतिहास है। यहाँ की माटी बेशकीमती कलाकृतियाँ ही नहीं गढ़ती , महापुरुषों को भी गढ़ती है । संत -सूफ़ियों को अवतरित करती है। लोक – धर्म और लोक – लज्जा का पालन यहाँ की हवा में है।
ऐसे ही एक राजनीतिक संत भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मतिथि पर हम बिहार महोत्सव का सांस्कृतिक अनुष्ठान कर रहे हैं।
इसके गैर -राजनीतिक मंच पर बिहार और बिहारीयत पर बातें होंगी।
बिहार इनदिनों में – लिटरेचर फेस्टिवल , थियेटर और शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल जैसे महत्वपूर्ण आयोजन होंगे वहीं सैकड़ों बिहारी लोक कलाकार अपने पारम्परिक लोकगीत , नृत्य , संगीत , नृत्य – नाटिका का प्रदर्शन करेंगे। सम्पूर्ण आयोजन पूर्णतया निःशुल्क और सबके लिए है।
बिहार का यह राष्ट्रीय आयोजन बिहारियों के तन – मन – धन से आयोजित हो रहा है। हमारी टीम ने पहली बार 2003 में बिहार महोत्सव का आयोजन दिल्ली के ही ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन ऑटोरियम किया था। इसकी सुखद स्मृतियाँ हमारे मनोपटल पर अंकित हैं।
आइए ! हम अपना फर्ज निभायें! दिल्ली में एक- दूसरे के काम आयें। ‘ बिहारी दोस्त ‘ बनें !
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