फाइलेरिया मरीजों ने सुनाई आपबीती तो पारले कर्मियों ने खाई दवा

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  •  दो सौ से ज्यादा लोगों ने खाई दवा 
  • पारले अधिकारियों ने भी खाई दवा 
मुजफ्फरपुर। सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान दवा खाने से कतराना कोई नई बात नहीं है। कई बार स्वास्थ्यकर्मियों ने समझा बुझा कर दवा खिलाई है। कुछ ऐसा ही वाक्या शहर स्थित पारले फैक्ट्री में हुई, जब वहां के कर्मियों और अधिकारियों ने एमडीए/आईडीए के तहत दवा खाने से इंकार किया।  फाइलेरिया मरीज आबदा खातून और भगवान लाल गुप्ता जो कि जानकी पेशेंट प्लेटफॉर्म और उजाला पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के मेंबर हैं, उन्होंने अपनी आपबीती अधिकारियों और कर्मियों के सामने रखी, जिससे उन्हें भी महसूस हुआ कि यह अभियान उनके लिए कितना उपयोगी है।
पारले के मैनेजर दीपक मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया के मरीजों ने आपबीती में बताया कि उन्होंने लापरवाही की समय पर इसका इलाज नहीं कराया, जिससे उनकी बीमारी इस भयावहता के साथ आ गयी। अगर इससे बचना है तो साल में एक बार एमडीए/आइडीए की दवा खानी चाहिए। आम जन के लिए फाइलेरिया मरीजों का सामने आना हम लोगों के लिए सबक और प्रेरणा दोनों ही थी। जिससे प्रेरित होकर मैंने और हमारे करीब 200 कर्मियों ने फाइलेरिया से बचाव की दवा खायी।
जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने बताया कि दवा खाने वाले इंकार करने वालों को विभाग गंभीरता से लेती है। स्वास्थ्यकर्मी और सहयोगी संस्थाएं रिफ्यूजल ब्रेक करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। रिफ्यूजल ब्रेक के लिए किसी फाइलेरिया मरीज का सामने आना फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बेहतर संकेत है। पीसीआई के डीएमसी अमित कुमार  ने बताया कि स्कूल, संस्थान और हर संस्थाओं तक हम फाइलेरिया रोधी दवाएं खिला रहे हैं, जागरूकता के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। मौके पर ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में शोभा कुमारी, मैनेजर दीपक मिश्रा, डीएमओ कार्यालय से संजय कुमार, विजय कमार,  पीसीआई के अमित कुमार, सीफार की नीतू कुमारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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