शारदीय नवरात्रि की आज अष्टमी तिथि है. इस दिन को महा अष्टमी और दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. ये दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित है. मान्यता है कि इसी दिन मां ने चंड मुंड राक्षसों का संहार किया था. इसलिए इस दिन को महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं. नवरात्रि का पर्व कन्या पूजन के बगैर अधूरा है. ऐसे में कई लोग अष्टमी को तो कई नवमी को कन्या पूजन करते हैं.
इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के प्रतीक के रूप में 9 कन्याओं को घर बुलाया जाता है और उन्हें प्रेम भाव से भोजन कराया जाता है. इसके बाद उन्हें सामर्थ्य अनुसार उपहार देकर और उनसे आशीर्वाद लेकर विदा किया जाता है. कन्या पूजन से ज्ञान, विद्या में विकास होता है. इसके अलावा आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है. इससे शत्रु परास्त होते हैं और विघ्न बाधाओं का नाश होता है.
क्यों किया जाता है कन्या पूजन?
कन्या पूजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. दरअसल एक बार इंद्र देवता ने परमपिता ब्रह्मा जी से मां दुर्गा को प्रसन्न करने का उपाय पूछा था. इसका जवाब देते हुए ब्रह्माजी ने कहा कि मां दुर्गा कुंवारी कन्याओं का पूजन करने और उन्हें भोजन खिलाने से प्रसन्न होंगी. इसी के बाद से मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने केलिए कन्या पूजन की परंपरा चली आ रही है हैं. अगर आप भी अष्टमी या नवमी में से किसी एक दिन कन्या पूजन करने वाले हैं तो जान लीजिए इससे जुड़े जरूरी नियम
कन्या पूजन के नियम
- कन्या पूजन के लिए 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को ही घर लेकर आना चाहिए.
- कन्या पूजन में कम से कम 9 कन्याएं और एक बालक जरूर होना चाहिए.
- कन्याओं को भोजन कराने से पहले उनके पैर धोकर कुमकुम अक्षत लगाएं और उन्हें चुनरी ओढ़ाएं.
- कन्या पूजन के प्रसाद में पुड़ी, हलवा और काले चने बनाना अनिवार्य होता है.
- कन्याओं को भोजन कराएं और आखिर में उन्हें उपहार देकर उनका आशीर्वाद जरूर लें.