(डा.नम्रता आनंद)
पटना,जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो प्रतिवर्ष माताओं द्वारा मनाया जाता है। महिलायंअपने पुत्रों के लिए हर साल आश्विन महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को उपवास रखती हैं और पूजा-पाठ करती हैं।जीवित्पुत्रिका व्रत को सामान्य भाषा में “जिउतिया” व्रत भी कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे लोग “जितिया” व्रत के नाम से भी जानते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत का पर्व तीन दिनों तक चलता है।पहला दिन नहाई-खायी के नाम से जाना जाता है। अगले दिन मुख्य जीवित्पुत्रिका व्रत का दिन होता है और माताएं इस दिन भोजन पानी के बिना कठिन उपवास रखती हैं।व्रत के अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा आदि करके नोनी का साग, मरुआ की रोटी और तोरी की सब्जी खाकर व्रत खोला जाता है।जिउतिया व्रत एक माँ द्वारा अपने पुत्र की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन का वरदान प्राप्त करने के लिए किया जाता है। कठिन तपस्या करके माताएं अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं और भगवान से बच्चों के लिए आशीर्वाद की कामना करती हैं।जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन महिलाएं भगवान जिउतवाहन की पूजा की जाती है। भगवान जिउतवाहन के साथ-साथ देवी और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए भी लोगों की धार्मिक मान्यता है कि यह उपवास रखने और भगवान जिउतवाहन की पूजा करने से उनके बच्चों को स्वस्थ और लम्बी आयु का जीवन मिलेगा।
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