मीनापुर सीएचसी में एक साथ 16 यक्ष्मा मरीजों को मिले पोषण की पोटली

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  • पोषण पोटली पाकर खिले यक्ष्मा मरीजों के चेहरे
  • सही पोषण टीबी से लड़ने में करती है मदद
मुजफ्फरपुर। टीबी मरीजों के लिए जितनी आवश्यक उनकी दवा है ठीक उसी तरह सही पोषण उन्हें बीमारी से उबरने में मदद करता है। टीबी के बारे में यह भी सही है की इसके होने की एक वजह कुपोषण है। यह बाते जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सीके दास ने मंगलवार को मीनापुर में पोषण पोटली प्रदान करते हुए कही। मीनापुर सीएचसी में मंगलवार को एकसाथ 16 टीबी मरीजों को पोषण पोटली दी गई।
टीबी को मात देने का लेना है संकल्प:
उपस्थित टीबी मरीजों का हौसला बढ़ाते हुए डॉ दास ने कहा कि टीबी से घबराना नहीं है अपितु इसे मात देने का संकल्प लेना है। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरुरत है। टीबी के लक्षण नजर आते ही नजदीकी सरकारी अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें और अपनी जांच कराएँ। डॉ दास ने उपस्थित टीबी मरीजों से कहा कि आप सभी का नंबर मेरे पास है और मैं फ़ोन करके आपसे बात करूँगा और दवा नियमित रूप से ले रहे हैं अथवा नहीं, यह भी पता करूँगा। डॉ दास ने टीबी मरीजों को कहा कि निक्षय का अर्थ यह समझिये कि नि-क्षय अथवा टीबी को नहीं होने देना है।
हवा से फैलता है टीबी का रोगाणु:
टीबी के रोगाणु वायु द्वारा फैलते हैं। जब फेफड़े का यक्ष्मा रोगी खांसता या छींकता है तो लाखों-करोड़ों की संख्या में टीबी के रोगाणु थूक के छोटे कणों (ड्राप्लेट्स) के रूप में वातावरण में फैलता है। बलगम के छोटे-छोटे कण जब सांस के साथ स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता और वह व्यक्ति टीबी रोग से ग्रसित हो जाता है। चिकित्सा कर्मी की देखरेख में रोगी को अल्पावधि वाली क्षय निरोधक औषधियों के सेवन कराने वाली विधि को डॉट्स (डायरेक्टली ऑब्जर्वड ट्रिटमेंट शॉर्ट कोर्स) कहते हैं। इसके तहत किया गया इलाज काफी प्रभावी हो जाता है। पूरा कोर्स कर लेने पर यक्ष्मा बीमारी से मरीजों को मुक्ति भी मिल जाती है। मौके पर एमओआईसी, हेल्थ मैनेजर, एसटीएलएस सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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