- दादी जी का मुख्य स्लोगन था निमित्त, निर्माण और निर्मल वाणी
अशोक वर्मा
मोतिहारी : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की 38 वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय हेड रही दादी प्रकाशमणि की 16वीं पुण्य स्मृति दिवस नगर के पतौरा बीके पाठशाला एवं बनिया पट्टी सेवा केंद्र पर बडे हीं श्रद्धा एवं आत्मिक भाव से मनाई गई ।दोनों सेवा केंद्रो पर योग भट्टी का आयोजन हुआ , दादी जी के निमित्त भोग लगाया गया । पतौरा लाला टोला केंद्र पर सुबह 4:00 बजे से योग भट्टी हुआ उसके बाद दैनिक मुरली क्लास चली फिर दादी जी के निमित्त भोग स्वीकार कराया गया ।उक्त अवसर पर पाठशाला के निमित्त बी के अशोक वर्मा ने दादी जी के सेवा और गुणो पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि दादी जी में निरंहकारिता का पाठ पक्का था। उन्होंने कभी भी नकारात्मक सोच नहीं रखा संगठन को एकता के सूत्र में पीरोकर रखा ।उन्हें सभी प्यार से मुन्नी मां कहते थे ।उनके सेवा काल में विदेश मे सेवा विस्तार हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित भाई बहनों ने दादी जी के चित्र पर पुष्प पर्पण किया और उनके आदर्श में चलने की प्रतिज्ञा की। 2:00 बजे दिन से नगर के हेनरी बाजार एवं बनिया पट्टी सेवा केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में बनिया पटटी के नये विशाल सेवाकेंद्र पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 4 घंटे तक चले कार्यक्रम में योग की गहन अनुभूति कराई गई उसके बाद दादी जी को भोग स्वीकार कराया गया। विचार सत्र मे दादी जी के जीवनी पर प्रकाश डाला गया।समारोह मे सेवा केंद्र के भाई-बहनों के अलावा काफी संख्या में अतिथि गण भी पधारे थे। दादी जी के चित्र पर सभी ने पुष्प अर्पण कर उनसे दृष्टि ली। दादी जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए सेवा केंद्र प्रभारी बीके विभा बहन ने कहा कि दादी जी में क्षमाशीलता ,दया और करुणा कूट- कूट कर भरी थी,उनमे योग की अपार शक्ति थी ।उनके पास दुआओं का भरपुर खजाना था। ब्रह्मा बाबा उन्हें कुमारका कहकर पुकारते थे। यज्ञ के अन्य भाई बहने मममा सम्मान उनको मुन्नी मां कहते थे। ।विशाल हृदय की थी दादी प्रकाशमणि जी। उनमे एक बल एक भरोसा था।
14 बरस की उम्र में बाबा की बोर्डिंग स्कूल में शिक्षिका के रूप में बच्चों को पढ़ाती थी।उन्हें विशेष वरदान प्राप्त था, वे ईश्वरीय शक्ति संपन्न थी। संपूर्णता को प्राप्त करते हुए 25 अगस्त 2007 में उन्होंने शरीर छोड़ा। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन संचालन बीके अशोक वर्मा ने किया । बीके अनिता बहन ने कहा कि दादी जी के मुख्य स्लोगन निमित्त, निर्माण और निर्मल वाणी पर विस्तार से प्रकाश डाला । बीके पूनम ने कहा कि दादी प्रकाश मणि जी के कार्यकाल में संस्था का विस्तार विश्व के कई देशों में हुआ। बाबा ने उन्हें सबसे पहले जापान में सेवा की जिममेदारी दी थी।वहां वे लगातार काफी दिनों तक रहकर उन्होंने सेवा की थी। बीके श्वेता बहन ने कहा कि उनके कार्यकाल में माउंट आबू के पांडव भवन में बड़े-बड़े भवनो का निर्माण हुआ जिसके कारण सेवा मे काफी विस्तार हुआ ।शांतिवन में डायमंड हॉल बना। संबोधन के दौरान कई भाई बहनों ने कहा कि दादी की सबसे बड़ी विशेषताएं थी कि वे बेहद की सेवाधारी थी । पूरे यज्ञ और सभी सेवा केदो को अपना समझती थी । योग का विशेष प्रतिकंपन देकर विश्व के सभी सेवा केंद्रो मेउन्होंने शक्ति भरी थी। उन्होंने भारत के ईश्वरीय ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाया। 18 जनवरी 1969 मे अव्यक्त होते समय ब्रह्मा बाबा ने अपनी सारी शक्ति दादी प्रकाशमणि जी को दी ,कहा कि भारतीय नारी की संपूर्ण प्रतिमूर्ति थी दादी प्रकाशमणि जी। संबोधन के दौरान बीके शिवपूजन अधिवक्ता ने कहा कि दादी जी के अंदर बाप दादा के प्रति पूरा निश्चय था । उनमे गुस्सा अंशमात्र भी नहीं था । वे किसी भी तरह की शिकायत सुनना पसंद नहीं करती थी। मेरा सेंटर -तेरा सेंटर, मेरा एरिया- तेरा एरिया करनेवालो को बराबर राय देती थी कि हद से निकल बेहद की सेवाधारी बनो। शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा के द्वारा गुप्त सेवा की ,दादी प्रकाशमणि जी ने सेवा को प्रत्यक्ष रूप दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित रहने वालों में मुख्य रूप से बीके भरत भाई ,बीके रामनंदन भाई,बीके सुरेंद्र भाई, बीके , ईजीनियर हरिशंकर ,बीके मनोज भाई, बीके नंद , अधिवक्ता धनंजय किशोर, बीके अनिता बहन, बीके पूनम बहन ,बी के प्रतिमा बहन, बीके भागीरथी माता, बीके लक्ष्मी , बीके गीता माता, बीके प्रतिमा जायसवाल ,बीके सरोज बहन, बीके श्वेता बहन, बीके प्रियंका ,बीके रंजन ,बीके सिद्धार्थ धर्मपुर पश्चिम चंपारण ,बीके पूजा बहन ,बीके मंजू माता आदि थे। संबोधित करने वालों में अन्य कई भाई बहने थे।