कालाजार उन्मूलन क़ो लेकर जिले के 12 प्रखंडो में चल रहा है दवा छिड़काव

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  • बालू मक्खी क़ो समाप्त करने हेतु 60 दिनों तक चलेगा अभियान 
  • क्षतिपूर्ति के रूप में कालाजार मरीजों को सरकार देती है 7100 रुपये
बेतिया : जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत भीबीडीएस के निगरानी एवं देखरेख में प्रशिक्षित दलकर्मियों के द्वारा सिथेटिक पाइरोथाइराइड का छिड़काव 12 प्रखंडो के 28 गाँव में कराया जा रहा है। ताकि बालू मक्खी क़ो समाप्त किया जा सकें। यह अभियान 60 दिनों तक उन चयनित स्थलों पर संचालित किया जा रहा है जहाँ बालू मक्खी का प्रभाव पूर्व में रहा है। भीबीडीएस प्रकाश कुमार ने बताया की 03 लाख 28हजार 177 की आबादी में 62 हजार 739 घरों, 1 लाख 83 हजार 650 कमरों में 03 मई तक छिड़काव किया जाएगा ताकि लोग कालाजार रोग से बच सकें। उन्होंने बताया की प्रखण्डों के स्वास्थ्य केंद्रों को दवा, बैनर, पोस्टर उपलब्ध कराई जा चुकी है। वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि कालाजार से मुक्त करने की दिशा में स्वास्थ्य कर्मी व विभागीय अधिकारी सक्रिय हैं। इसके लिए महादलित बस्तियों एवं झुग्गी-झोपडी में कालाजार से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ सिंथेटिक पाइरोथाइराइड कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में पर्यवेक्षक टीम का गठन किया गया है जो छिड़काव कार्य का सतत अनुश्रवण करेगी।छिड़काव के वक्त इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है -घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें, खाने-पीने के सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर कर दे, भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित कर उसे ढक दें। डॉ हरेंद्र ने बताया कि कालाजार के संपूर्ण उन्मूलन के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए सरकार की तरफ से आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में 100 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। आशा कार्यकर्ता छिड़काव होने से पहले घर-घर जाकर लोगों को इसकी जानकारियां देंगी।उन्होंने बताया कि छिड़काव चक्र के दौरान चयनित गांवों के सभी घरों एवम गौशाला के अंदर पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए। अगर एक भी घर छिडकाव से वंचित रह गया, तो बालू मक्खी के पनपने का खतरा बना रहेगा।
क्षतिपूर्ति के रूप में कालाजार मरीजों को सरकार देती है 7100 रुपये:
भीबीडीएस प्रकाश कुमार, एवं अरुण कुमार ने बताया कि बालू मक्खी के काटने से ही कालाजार होता है। उन्होंने बताया कि यह मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। इसलिए दवा का छिड़काव घरों, गौशालाओं की दीवार पर छह फीट तक किया जाता है। वहीं उन्होंने बताया कि क्षतिपूर्ति के रूप में कालाजार के मरीजों को सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है।
कालाजार के लक्षण:
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा सूखी एवं पतली होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।
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