एईएस/जेई की रोकथाम को लेकर  स्वास्थ्य विभाग की हुई समीक्षा बैठक

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  • 24 घंटे स्वास्थ्य केंद्र रहेंगे एलर्ट मोड पर 
  • गांव-गांव में चौपाल लगाकर फैलाए जागरूकता 
बेतिया। एईएस/जेई के रोकथाम व बचाव को लेकर स्वास्थ्य महकमा व जिला प्रशासन अलर्ट है। इसको लेकर जिले के प्रखंडो में बीएलटीएफ की बैठक की जा रहीं है ताकि एईएस/जेई को नियंत्रित किया जा सकें। शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, योगापट्टी में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रखंड प्रमुख, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, पंचायती राज पदाधिकारी, आपूर्ति पदाधिकारी, व अन्य विभागों के साथ जीविका, पीरामल स्वास्थ्य, डब्लूएचओ, युनिसेफ के प्रतिनिधियों की बैठक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, योगापट्टी की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें एईएस/जेई के मामले से निबटने को लेकर पीएचसी स्तर पर इमरजेंसी में ईलाज और दवाओ की उपलब्धता की जानकारी ली गई साथ ही जागरूकता हेतु विभागीय स्तर पर गांव-गांव में जागरूकता को लेकर पंपलेट आदि का वितरण कराने, अधिक से अधिक चौपाल लगाए जाने की बातें की गई ताकि जन मानस की जागरूकता से बच्चों की सुरक्षा हो सकें। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने महादलित टोलो पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता बताई।उन्होंने कहा की स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्राउंड लेवल पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा तो मामलों में कमी जरूऱ आएगी। वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा की स्वास्थ्य संस्थान पर ओआरएस एवं पारासिटामोल दवा कि उपलब्धता आवश्यक मात्रा में सुनिश्चित किया गया है।
चमकी बुखार के लक्षण हो तो सरकारी अस्पताल में तुरंत आएं:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि चमकी की बीमारी में शुरूआत में तेज बुखार आता है। इसके बाद बच्चों के शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। इसके बाद तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है। इस बीमारी में ब्लड शुगर लो हो जाता है। बच्चे तेज बुखार की वजह से बेहोश हो जाते है और उन्हें दौरे भी पड़ने लगते है। जबड़े और दांत कड़े हो जाते है। बुखार के साथ ही घबराहट भी शुरू होती है और कई बार कोमा में जाने की स्थिति भी बन जाती है। अगर बुखार के पीड़ित को सही वक्त पर इलाज नहीं मिलता है तो मृत्यु हो सकती है।ऐसे में परिजन बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल लेकऱ आए देरी न करें।जिले के भीडीसीओ गणेश कुमार, सुशांत कुमार, प्रशांत कुमार ने बताया की जीएमसीएच में 30 बेड, अनुमण्डलीय अस्पताल में 10 बेड, पीएचसी में 02 बेड बनाए गए है। जहाँ एईएस पीड़ित बच्चों की ईलाज की व्यवस्था है।
चमकी के लक्षण एवं इससे बचने के उपाय:
चमकी होने पर मांसपेशी में दर्द, पूरे शरीर में थकान, कंपन होना, तेज बुखार, सुस्त होना, या भूख न लगना, चेतना का बदला हुआ स्तर, भटकाव, उल्टी होना, शरीर में पानी की कमी होना। इससे बचने के लिए रात्रि में बच्चों को खाली पेट न सोने दें, धुप में न निकले, पानी का ज्यादा सेवन करें, ताजे फल खाए, ओआरएस घोल का सेवन करें, किसी प्रकार का लक्षण दिखे तो तुरंत आशा दीदी को बताए, और अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में इलाज कराए।
मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी शशिभूषण प्रसाद, एमओआईसी डॉ एमडी अब्दुलगणी, बीएचएम शैलेंद्र कुमार, पिरामल प्रतिनिधि श्यामसुन्दर व अन्य लोग शामिल हुए।
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