अशोक वर्मा
मोतिहारी : समय के साथ-साथ कल का नगर पालिका नगर परिषद बना और अब नगर निगम का भारी भरकम टाइटल लग गया है।पद और नाम बदला लेकिन नगर की स्थिति नहीं बदली ।कर्मचारियों की संख्या बढी, नगर में कूड़े का अंबार निकलने लगा, अतिक्रमण पहले से ज्यादा हुई, चलंत दुकाने ज्यादा सजी, जल निकासी का कोई समुचित व्यवस्था नहीं हुआ ,टैक्स बढे, सुविधा नहीं बढी। यह है मोतिहारी नगर निगम का वास्तविक रूप और चित्रण। कोई भी सड़क चाहे वह किसी भी वार्ड मे हो पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त नहीं है। होना यह चाहिए कि जिस वार्ड में सड़क अतिक्रमित हो वहां के निगम वार्ड सदस्य पर एक्शन होना चाहिए। आज पूरे मोतिहारी में डेंगू का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है डॉक्टरों की चांदी है पैथोलॉजी वाले भी जमकर कमा रहे हैं और लेकिन डेंगू के जड़ में लोग नहीं जा रहे हैं कि बार-बार डेगू शहर में क्यों फैल रहा है। कोई भी नाली साफ नहीं है, जल निकासी अवरुद्ध है और आज भी बाबा आदम के जमाने का नाली निर्माण सिस्टम लागू है जबकि दुनिया कहां से कहां चली गई। मोतिहारी नगर निगम वही पारंपरिक विधि से नाला निर्माण कर रहा है। कमजोर स्लैब रख देता है जो चंद वर्षों के अंदर ही नाली के कीचड़ के रूप में तब्दील हो जाता है ।वैसे तो पूरे शहर की स्थिति नारकीय है लेकिन मठिया मोहल्ला जहा की सडक काफी चौड़ी है, आज बिना बरसात का ही वहां बरसात है। सड़क पर पैदल लोग चल नहीं पाएंगे बज बजाते नाली के पानी बह रहे हैं, कीचड़ का बदबू है। शहर में डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है लेकिन किसी को भी इसका फिक्र नहीं है। नगर निगम के लोग बयान पर बयान देते हैं लेकिन जमीन पर काम नहीं दिख रहा है। जिला प्रशासन भी इस मामले में मौन है और जनप्रतिनिधि विधायक सांसद भी खामोश है। सब भाग्य भरोसे चल रहा है।
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