बजट रेलकर्मियों के लिए बहुत हीं निराशाजनक : रतनेश वर्मा, जोनल जॉइंट सेक्रेटरी

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अशोक वर्मा
रक्सौल : केंद्रीय सरकार द्वारा पारित बित्त बजट-2024 के बारे में विचार देते हुए ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लाइज यूनियन के जोनल जॉइंट सेक्रेटरी  रतनेश वर्मा ने कहा कि यह बजट रेल-कर्मियों के आशाओं पर पानी फेरने वाला बजट है । *NPS को हटाकर OPS करने वाले माँगो को सरकार ने न केवल नजरअंदाज कर दिया बल्कि अब NPS की कटौती भी 10% से बढ़ाकर 14% कर दी गयी है।* आठवें वेतन आयोग के गठन के बारे में सरकार का नजरिया साफ नहीं है। *जब आठवें वेतन आयोग की सिपारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होनी है,तो अभी तक आयोग का गठन हो जाना चाहिए था ।* कोरोना काल के 18 महीने के लंबित महंगाई भत्ता के भुगतान पर भी सरकार का रवैया सकारात्मक नही है। *अभी महंगाई भत्ता 50% हो जाने के बाद भी नियमानुसार उसे बेसिक में मर्ज नही किया जा रहा है।* रेलवे के ग्रुप-सी तथा डी संवर्ग को मिलनेवाले *बोनस के रकम को सातवे बेतन आयोग के मिनीमम बेसिक के आधार किया जाना चाहिए था।* रेलकर्मी को *पचास लाख का बीमा देने के माँग पर भी सरकार द्वारा कदम नहीं उठाया गया ।* सरकार द्वारा टेक्स में दिए गए छूट का असर रेलवे कर्मियों के लिए ऊँट के मुंह मे जीरा के समान है । भारत-सरकार को सबसे ज्यादा टेक्स देने वाला विभाग रेलवे ही है।
           श्री वर्मा ने कहा कि *जब आठ लाख से ऊपर के आमदनी वाले को क्रीमीलेयर माना जाता है,तो टेक्स भी आठ लाख से ऊपर के आमदनी पर हीं लिया जाना चाहिए। आठ लाख तक टेक्स शून्य कर देना चाहिए।* रेलवे के ग्रुप सी और डी कैटेगरी के स्टाफ इस महंगाई में किसी तरह से अपनी जीविका चला रहे हैं।वेतन से टैक्स कट जाने के बाद भी बाज़ार से सामान खरीदने पर , अस्पताल में , दवा में , *सर्विसिंग में सब जगह अलग से टैक्स देना पड़ता है।*  *आखिर गर्दन कितना बार कटाया जाता रहेगा।* ड्यूटी के दौरान रन-ओवर / मृत होने वाले रेलकर्मियों के परिवार को मिलनेवाले मुआवजा के रकम को तत्काल प्रभाव से बढ़ाया जाना चाहिए । ग्रुप-बीमा के रकम को भी बढ़ाया जाना चाहिए । आगे उन्होंने कहा कि इस बजट में पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न लम्बित परियोजनाओं पर भी सकारात्मकता नहीं दिखायी गयी है। सगौली-अरेराज-वैशाली-हाजीपुर रेलखंड परियोजना ।मोतिहारी-ढाका-शिवहर रेलखंड आदि परियोजना कई वर्षों से पूर्ण होने की प्रतीक्षा में है। *ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लाइज यूनियन इस केंद्रीय बजट की निन्दा करती है।*
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