माउंट आबू ब्रह्माकुमारीज अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय में आयोजित बाबा मिलन मे पूर्वी चंपारण से 100 भाई बहनों की भागीदारी।

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अशोक वर्मा
सतयुग में सिर्फ कला संस्कृति की विंग होगी : बीके सतीश भाई
माउंट आब : नॉर्थ ईस्टर्न जोन- नेपाल के लिए दो फरवरी को आयोजित बाबा मिलन कार्यक्रम में लगभग 25000 तक भागीदारी हुई है। वर्ष में एक बार होने वाले बाबा मिलन कार्यक्रम की प्रतीक्षा देश के विभिन्न जोनो को रहती है । उक्त मौके पर बाबा मिलन के साथ बाबा से अपार शक्ति की प्राप्ति होती है।शुक्ष्म स्वरूप मे हाजिर रह परमपिता परमात्मा के द्वारा अपार शक्ति का प्रतिकंपन मिलती है। संदेशी से वर्तमान और भविष्य विश्व घटनाक्रम और पुरुषार्थ की जानकारी मिलती है।
संस्था द्वारा संचालित सभी बीसो प्रभागो की बैठके होती है। उसी क्रम मे 1 फरवरी को आर्ट एंड कल्चर विंग की मीटिंग ट्रेनिंग सेंटर के हाल नंबर पांच में हुई जिसमें वरिष्ठ भाई बहनों के अलावा बिहार के भाई-बहनो की अच्छी  भागीदारी रही। मोतिहारी से भाग लेने वालों में मुख्य रूप से संगीत महाविद्यालय के प्रचार्य शैलेंद्र कुमार सिंन्हा, सेवा संस्कृति मंच के अशोक कुमार वर्मा ,ढाका के वीरेंद्र प्रसाद के अलावां बेगूसराय, सिवान गोपालगंज,पटना एवं छपरा के भाई बहनो ने भाग लिया।
उड़ीसा जोन को-ऑर्डिनेटर बीके पार्वती दीदी ने अपने संवोधन में कहा कि बीस प्रभागो में कला संस्कृति प्रभाग का महत्व बहुत है क्योंकि किसी भी प्रभाग  का कोई भी कार्यक्रम हो कला संस्कृति वालों की जरूरत मंच पर रहती ही है। उनके अंदर वह अद्भुत शक्ति परमात्मा से मिली है जिससे समाज को संगीत और विभिन्न विधाओं के माध्यम से नई दिशा  देते हैं ,इसलिए कलाकारों को काफी सचेत रखने की आवश्यकता है।कहा कि हमारा संदेश सृजनात्मक हो ना कि विध्वंसनात्मक हो ।आज कला संस्कृति के नाम पर काफी गिरावट  देखने को आ रही है। उन लोगों को सही दिशा सहज राजयोंग के द्वारा ही दिया जा सकता है। कल्चर विंग के उपाध्यक्ष वीके सतीश भाई ने कहा कि सेकंड की दृष्टि में सृष्टि बदलनी होगी। मन में उत्कृष्टता, वाणी में तेज ,उदारता, निमित्त ,निर्माण निर्बल वाणी वालों के संकल्पों से हीं सृष्टि में परिवर्तन होगा।  उन्होंने कहा कि सतयुग मे सिर्फ एक ही विंग होगा और वह है कला संस्कृति। उन्होंने कहा कि कला से एग्री होने के बाद हीं एग्रीकल्चर आरंभ होगा। कला संस्कृति के उद्देश्य पर उन्होंने कहा कि नई जिम्मेदारी राज्याभिषेक के लिए उन कलाकारों को परम कलाकार से मिलाने के निमित्त बाबा के कलाकार बच्चे हीं होंगे। उन्होंने कहा कि कलाकारों में चार वर्ण होते हैं जिसमें मंच कलाकार ,नैपथ्य  कलाकार, कवि, लेखक सहित हर विधा के कलाकार होते है।
उन्होंने कहा कि गुणो को कला कहा जाता है। 5000 वर्ष के कल्प मे  जन्म मरण मे आने से आत्मा पावर विहीन हो चुकी है इसलिए परम कलाकार शिव बाबा आत्माओं को सशक्त कर रहे हैं। उन्होंने उपस्थित तमाम कलाकारों से कहा कि दुनिया में कला से जुड़े हुए तमाम लोगों को बताना होगा कि सहज राजयोग के अभ्यास से कलाकारों को क्या-क्या प्राप्ति होगी कैसे उनकी कला मे जौहर और ,शक्ति स्वतः भरेगी।कला को कैसे  दिशा मिलेगी। इन तमाम बातों को बताने की जिम्मेदारी आप सभी कलाकारों के ऊपर हैं। सहज राजयोग के अभ्यास से  तनाव और नशा मुक्ति सवतः हो जाती हैं। जीवन खुशहाल हो जाता है।
 जगदीश भाई ने मंच संचालन किया तथा और कई लोगों ने अपने-अपने विचार दिए कई लोगों ने गीत प्रस्तुत की है और लोगों को अपनी कला से साक्षात्कार कराया।
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