- चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने उपलब्ध स्थानीय संसाधनो से स्वालंबी बनने की बाते कही थी : उमाशंकर प्रसाद
अशोक वर्मा
मोतिहारी : दलितोत्थान ,पिछड़े वर्ग या किसी कारण से विकास से वंचित रह गए लोगों के जीवन को पटरी पर लाने तथा सजाने संवारने का संकल्प लेकर मोतिहारी का एक कुर्ता धोती पहनने वाला व्यक्ति जो कचहरी के रजिस्ट्री ऑफिस में एडवोकेट सहायक के रूप में कार्यरत थे , समाज सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और 19 91 में वे झोला लटका कर निकल पड़े गांव और टोले के उपेक्षितों की सुधी लेने। उन्होंने 1991 में संस्था का गठन किया जिसका नाम रखा कृषक विकास समिति मोतिहारी।वे
मजदूर, किसान बेरोजगारो एंव महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में जुट गए । सेवा कार्य में जब अर्थ की समस्या हुई तो उन्होंने 1995 मे काफी मशक्कत के बाद उस संस्था का पंजीकरण कराया और अपनी सेवा मिशन को गति दी।
72 वर्षीय संस्थापक अध्यक्ष जो आज भी धोती ही पहनते हैं ,सेवा के दौरान गांव के एक दलित बस्ती में जब मिले तो उन्होंने बताया कि परमात्मा ने यह शरीर हमें दिया है काम करने के लिए। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग सिर्फ अपने लिए कर रहे हैं या समाज में जरूरतमंदों के लिए भी कर रहे हैं ।जिला निबंधन कार्यालय में लंबे समय तक सेवा देने के बाद मैंने अनुभव किया कि मेरी जरूरत समाज के उपेक्षितो को ज्यादा है और मैंने महिला ,किसान ,युवा और विकलांग आदि को रोजगार हेतु प्रशिक्षण देने का कार्य आरंभ किया। जब संस्था का रजिस्ट्रेशन हो गया था तो कुछ सरकारी अनुदान भी मिलने लगे।यद्यपि वह जटिल प्रक्रिया थी फिर भी मुझे सहयोग लेना पड़ा। विभिन्न स्तर पर लगातार 28 वर्षों से मैं सेवा कार्य कर रहा हूं। मेरा कोई राजनीतिक लक्ष्य नहीं है ।अब तक 5000 महिलाएं मेरे द्वारा स्वावलंबी हुई है। जिले के चैलाहा, सुगौली, रामगढ़वा बंजरिया ,तुरकौलिया आदि क्षेत्रो मे लगातार सेवा कार्य चल रहा है। मेहसी में शिव बटन निर्माण अभी प्रस्तावित है ।उन्होंने कहा कि चैलाहा कॉलोनी में पहले जमींदारी प्रथा थी ऊंचे ब्याज दर पर वहां गरीब लोग सूद पर पैसा उठाते थे, राशन कार्ड भी नहीं बना था ,वोटर लिस्ट में नाम भी नहीं था तथा किसी का बैंक खाता भी नही खुला था लेकिन मैं वहां स्वयं सहायता समूह का गठन किया और आज वहां काफी संख्या में महिलाएं स्वावलंबी हुई है और सरकारी योजनाओं का वे लाभ ले रही हैं ।उनके अंदर निर्भीकता भी आई है । सरकारी स्कीमो का लाभ ले रही हैं। उसके लिए वे लड़ भी जाती हैं और लड़ करके प्रशासनिक स्तर पर सहयोग ले रही है। सुगौली भटहा में किसान क्लब का गठन किया और सांगठनिक स्तर पर कृषि विभाग से उन लोगों को सुविधायें मिल रही है। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का गठन रामगढ़वा के अहिरौलिया में भी हुआ है । 300 किसान मेंबर है और उन्हें कृषि विभाग से अनुदानित दर पर सामग्रियां मिल रही है। वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन जिले के 50 जगहों पर हो रहा है। जिले में सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि यहां ऊंचे दर पर ब्याज लेने की प्रथा थी, वह समाप्त हो गई ।आज महिलाएं आधार कार्ड के आधार पर भी बैंकों से ऋण भी ले रही है। वैसे उनका जो स्वंय सहायता समूह खुला है ,उससे अब महिलाओं का समूह इतनी मजबूत हुई हैं कि उन्हें किसी से पैसे लेने की कोई जरूरत ही नहीं है । आदर्श स्वयं सहायता समूह के पास आज अपना बैंक बैलेंस 5 लाख से अधिक है ।समूह की महिलाये उसमे से राशि निकालती हैं और व्यवसाय में लगाती हैं। घर में शादी ब्याह या कोई भी अचानक के जरुरत में उनको मदद मिलती है ।वे अपनी पूंजी को बढ़ाना भी चाहती हैं और बढा भी रही हैं।
जिले के एक नवयुवक ने बैटरी निर्माण प्रशिक्षण लेकर अपना निर्माण केंद्र भी खोल दिया है जो काफी मुनाफे का व्यवसाय साबित हो रहा है। उमाशंकर प्रसाद ने बड़े ही फक्र के साथ कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूर मारे मारे फिर रहे थे ,हमने उन लोगों को भी एकजुट किया तथा उनका श्रम विभाग से निबंधन कराकर लाभ दिलवा रहा हूं।
महात्मा गांधी के सिद्धांत पर चलने वाले उमाशंकर प्रसाद का कोई भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और वे ऐसी सोच भी नहीं रखते हैं क्योंकि वर्तमान दौर के राजनीतिक क्षेत्र में जाने का जो सिस्टम है उस सिस्टम में कहीं से भी अपने को सक्षम महसूस नहीं कर रहे हैं।
आज भी धोती कुर्ता गमछा और कंधे पर एक झोला लटकाए उमाशंकर जी दिन रात समाज सेवा का कार्य कर रहे हैं ।सबसे बड़ी बात यह है कि जो लोग इनसे लाभान्वित हुए हैं वे लोग आज इन्हें एक भगवान के रूप में मानते हैं और बड़े ही आदर और श्रद्धा के साथ पैर छूकर प्रणाम करते हैं ।अमूमन ऐसा देखा जाता है कि जितने भी एनजीओ खुले हैं वे सिर्फ अपने बेरोजगारी दूर करने और घर चलाने के लिए पैसा कमा रहे हैं लेकिन उमाशंकर प्रसाद ने अंतरात्मा की आवाज पर गरीबों की सेवा कर रहे हैं । सामाजिक मान्यता अनुसार एक संवेदनशील व्यक्ति हीं समाजसेवी होता है उस सवरूप को इन्होंने अपनी सेवा के द्वारा दिखाया है ।समाज ने इन्हे इज्जत और प्रतिष्ठा दिया । आज ये निर्वाध गति से अपने समाज सेवा के कार्य को उम्र के आठवी दशक में भी जारी रखे हुये है। सामाजिक स्तर पर इन्हें हर प्रकार का सहयोग मिल रहा है ।वैसे जो सिस्टम अभी है उस सिस्टम में सरकारी फंड लेना उनके लिए बहुत दूरूह कार्य है बावजूद इन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि सिस्टम तो यही है लेकिन मेरे लिए प्रशासनिक स्तर पर सहयोग मिल रहा हैं। नाबार्ड का विशेष सहयोग मिल रहा है जिसके चलते आज कई योजनाओं पर काम हो रहा है। कई प्रशिक्षण चले हैं चाहे वह बकरी पालन , मुर्गी पालन , अगरबत्ती निर्माण या मशरूम की खेती हो, हर क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्य हो रहा है।
उमा शंकर प्रसाद ने बताया कि वर्तमान दौर में स्वावलंबी होना बहुत जरूरी है ।चंपारण सत्याग्रह के समय महात्मा गांधी ने अपने संदेश में कहा था कि स्थानीय संसाधन आधारित कूटीर उद्योग खोलकर आम लोग स्वावलंबी हो सकते हैं।।मैं इस सिद्धांत पर हीं काम कर रहा हूं, और चाहता हूं कि गरीब से गरीब लोग भी स्वावलंबी हो जाए ताकि वे किसी अन्य पर आश्रित ना रहे ।
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