नाइट ब्लड सर्वे के दौरान पहचान किए जाएंगे फाइलेरिया मरीज

4 Min Read
  • 18 से 21 दिसंबर तक सभी प्रखंडों और शहरी क्षेत्र में चलेगा नाइट ब्लड सर्वे अभियान
शिवहर। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए जाने वाले सर्वजन दवा सेवन के पहले जिले में फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए दिनांक 18 दिसंबर से 23 दिसंबर तक सभी प्रखंडों और शहरी क्षेत्र में नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटीनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। जहां नाइट ब्लड सर्वे टीम के सदस्य 20 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों का सैम्पल लेंगे। एक साइट पर 300 और दूसरे साइट पर भी 300 यानि कुल 600 लोगों के ब्लड का सैंपल एकत्रित किए जाएंगे। जिससे संभावित मरीजों की समुचित जांच सुनिश्चित हो सके और शुरुआती दौर में ही बीमारी की सही जानकारी मिल सके। नाइट ब्लड सर्वे के लिए चार सदस्यीय टीम भी बना दी गई है। जिसमें अनिवार्य रूप से एक लैब टेक्निीशियन होंगे। संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर लोगों को सैंपलिंग कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
प्रखंडों में फाइलेरिया की स्थिति का लगाएंगे पता: 
जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुरेश राम ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि कितने लोगों में फाइलेरिया का पैरासाइट मौजूद है। फाइलेरिया का पारासाइट रात में ही सक्रिय होता है। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे में 8 से 12 बजे रात के बीच ही ब्लड सैम्पल लिया जाएगा। इसमें 20 साल से ऊपर के लोगों का रक्त नमूना जांच के लिए लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रखंड स्तर पर नाइट ब्लड सर्वे के लिए सूक्ष्म कार्य योजना तैयार की गई है। इसी क्रम में चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सहेश कुमार ने भ्रमण कर वर्तमान स्थिति का जायजा लिया। भ्रमण के दौरान भीबीडीएस सचिन कुमार तथा पिरामल स्वास्थ्य के प्रतिनिधि नवीन कुमार मिश्रा उपस्थित रहें।
सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी कराएं जांच: 
डॉ. सुरेश राम ने कहा कि फाइलेरिया या हाथी पांव के लक्षण सामान्यता शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकते हैं। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं। फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। ये साइलेंट रहकर शरीर को खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी से होनेवाला रोग है जो मच्छर के कटने से फैलता है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों) की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
25
Share This Article
Leave a review

Leave a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *