एकात्म मानववाद के दर्शन पर चलकर 2047 तक भारत बन सकता है विश्व गुरु; महामहिम राज्यपाल  राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर

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गया। देश वास्तविक तौर पर प्रगति के रास्ते पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और अगर हम इसी रफ्तार से आगे बढ़े तो निश्चित तौर पर हमारा देश भारत की आज़ादी के 100 वें वर्षगांठ 2047 तक दुनिया में अपने को विश्वगुरु के रूप स्थापित कर सकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महान विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिए गए “एकात्म मानववाद” का दर्शन एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में हमारे सामने मौजूद है l ज़रूरत इस बात की है कि हम पंडित  के द्वारा दिए गए संदेश और दर्शन का गहन अध्ययन करें और उसे अपनी ज़िन्दगी में उतारने का प्रयास करें l ये महत्वपूर्ण वक्तव्य राज्यपाल बिहार राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने  पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के उपलक्ष्य में दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सीयूएसबी परिसर में 25 सितम्बर सोमवार को आयोजित विशेष कार्यक्रम में कही है।सीयूएसबी के दीनदयाल उपाध्याय पीठ के तत्वाधान में “दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि में 2047 में भारत के स्वरूप” विषय पर आयोजित व्याख्यान में  राज्यपाल ने मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में कहा कि पंडित दीनदयाल न केवल एक अच्छे विचारक एवं संगठक थे बल्कि वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त भी थे।अपने उद्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि आज हमें दीनदयाल उपाध्याय की जीवन-चरित को पढने की आवश्यकता है ताकि हम उनके दर्शन को बेहतर तरीके से समझकर उसे आत्मसात कर सकें और उनके विकसित भारत के सपने को साकार कर सकें। आज हमें भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए राष्ट्र-चिंता की नहीं बल्कि राष्ट्र-चिन्तन की जरूरत है |राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में पंडित  के ‘एकात्म-मानववाद’ सिद्धांत को भी याद किया और कहा कि दीनदयाल जी अक्सर कहते थे कि “जिस तरह एकात्मकता हमारे बीच जरूरी है ठीक उसी तरह राष्ट्र के लिए भी एकात्मकता जरूरी है और एकात्मकता हमारे बीच सतत रूप से वास करना चाहिए”| अपने भाषण अभिव्यक्ति के दौरान मा ने चित्ति शब्द को व्याख्यायित किया और कहा कि जैसे शरीर में आत्मा होती है, वैसे ही राष्ट्र की भी अपनी आत्मा होती है जिसे दीनदयाल जी अपने शब्दों में चित्ति कहते थे । भारत सरकार के द्वारा लाई नई शिक्षा नीति एनईपी 2020  एवं हाल ही में जी- 20 का आयोजन राष्ट्र की चित्ति को जगाने तथा दीनदयाल जी के सपने का भारत बनाने की दिशा में किया गया एक अनूठा प्रयास है। विश्विद्यालय के युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप लोग प्रण लें कि आप नौकरी लेने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले युवा बनेंगें। अपने भाषण का समापन आयरिश दार्शनिक के कथन “यू टेल मी दी सांग्स ऑफ योर युथ, आई विल टेल यू दी फ्यूचर ऑफ योर नेशन” के साथ किया गया है।
इससे पहले कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत दिप प्रज्वलीत करके एवं पंडित जी की तस्वीर पर माल्यार्पण करके किया गया है।इसके बाद स्वागत-सम्बोधन में सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने राज्यपाल के प्रति कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए आभार प्रकट करते हुए आगे अपने विचार साझा किए हैं ।उन्होंने कहा कि “यह धरती ज्ञान एवं मोक्ष की धरती रही है। यहाँ अतीत में नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे विश्विद्यालय रहे हैं जिसने पूरी दुनिया को शिक्षा देने का कार्य किया है। आज उसी धरती पर दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित है जो देश और दुनिया को शिक्षा देकर अपने गौरवशाली अतीत को फिर से प्रतिस्थापित करने का सकारात्मक प्रयास कर रहा है | विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. के. एन. सिंह ने कहा कि “जब भी मैं महात्मा बुद्ध और दीनदयाल जी को पढ़ता हूँ तो मुझे दोनों के जीवन में एक बड़ी समानता दिखाई पडती है कि दोनों ने जीवन की सच्चाई को करीब से समझा एवं अपना पूरा जीवन समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया” है।उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय जी के सिद्धांत ‘एकात्म-मानववाद’ पर अपनी बात रखते हुए उनकी पंक्ति “मनुष्य के जीवन की साथर्कता तभी है जब वह अपने समाज और अपने राष्ट के लिए जीता हो” को उधृत किया तथा कहा कि आज हम सबको उनके विचार को आत्मसात करने की आवश्यकता है | अपने सम्बोधन में कुलपति  ने विश्वविद्यालय की 2009 में हुई स्थापना से लेकर अभी तक के सफर में अर्जित उपलब्धियों को भी संक्षेप में साझा किया | अंत में उन्होंने वर्ष 2022 में  प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी द्वारा लालकिले से दिए गए भाषण में पंच प्रणों का ज़िक्र करते हुए अपने भाषण की समाप्ति अंत्योदय योजना के साथ किया जिसका लक्ष्य अंतिम व्यक्ति तक के विकास के लक्ष्य है |
व्याख्यान के पश्चात मुख्य अतिथि ने विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित ” मधुवन अल्पाहार गृह (कैफेटेरिया) ” एवं ” मुक्ताकाशी व्यायाम शाला (ओपन जिम) ” का लोकार्पण किया है।वहीँ इस अवसर पर चंद्रयान – 3 वैज्ञानिक दल में शामिल गुरारू निवासी  सुधांशु कुमार के माता – पिता को राजयपाल ने मंच पर सम्मानित किया है | इस कार्यक्रम में राज्यपाल बिहार राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के साथ प्रदेश की प्रथम महिला एवं उनकी पत्नी अनघा आर्लेकर, सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह, कुलसचिव कर्नल राजीव कुमार सिंह, कार्यक्रम समन्वय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर के. शिव शंकर के साथ बड़ी संख्या में प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, शोद्यार्थी एवं छात्र – छात्राएं उपस्थित थे।इस  मंच संचालन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु झा ने किया जबकि धन्यवाद् ज्ञापन मीडिया विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुजीत कुमार ने प्रस्तुत किया है|
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