कालाजार उन्मूलन को लेकर आशा कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण

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  • बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार
  • इसकी समय पर पहचान व इलाज जरूरी 
मोतिहारी। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले के 23 प्रखंडों के 1200 आशाओं को सदर अस्पताल स्थित आरटीसी केंद्र में भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार एवं गौतम कुमार के द्वारा 21 फ़रवरी से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह 11 मार्च तक चलेगा। डीभीडीसीओ शरत चंद्र शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को कालाजार के लक्षणों की पहचान व उससे बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बालू मक्खी के काटने से कालाजार होता है। जागरूकता कालाजार से बचाव का बेहतर उपाय है। इसलिए आशा प्रशिक्षण के उपरांत घर-घर जाकर कालाजार के मरीजों को खोज करने के साथ आमजनों को भी इसके लक्षणों की पहचान व उससे बचाव के उपाय बताए।
बचाव के लिए जागरूकता है बेहतर उपाय:
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एस सी शर्मा ने बताया कि कालाजार के संपूर्ण उन्मूलन के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए सरकार की तरफ से आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि के रूप में 100 रुपये अतिरिक्त दिए जाते हैं। आशा कार्यकर्ता छिड़काव होने से पहले घर-घर जाकर लोगों को इसकी जानकारी देंगी। उन्होंने बताया कि छिड़काव चक्र के दौरान चयनित गांवों के सभी घरों एवं गौशाला के अंदर पूरी दीवार पर दवा का छिड़काव किया जाना है। अगर एक भी घर छिडकाव से वंचित रह गया, तो बालू मक्खी के पनपने का खतरा बना रहेगा।
कालाजार के मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है 7100 रुपये की राशि:
भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि बालू मक्खी के काटने से ही कालाजार होता है। उन्होंने बताया कि यह मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। इसलिए दवा का छिड़काव घरों, गौशालाओं की दीवार पर छह फीट तक किया जाता है। उन्होंने बताया कि क्षतिपूर्ति के रूप में कालाजार के मरीजों को सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है।
कालाजार के लक्षण:
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी और पतली होना, बाल झड़ना आदि। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।
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